आज मारा हृदयमां आनंदसागर उच्छले....
जिनचन्द्रना दर्शन वडे, संताप सवि स्हेजे टले।। १।।रामनो संगम थये जे हर्ष पामे जानकी...
कळीकाळमां जिनदेवनुं दर्शन जीवन आधार छे.... तेवी ज रीते भविकने, जिनदेवना दर्शन थकी।। ४।।
पामशे जे शुद्ध भावे, तरी जशे संसार ते.।। २।।श्री गुरु वचनामृत सुणी जाण्युं अमे जिनदर्शने...
भव वने भमतां थकां भूला पडेला मार्गमां... आत्म जागे, पाप भागे, सिद्धनी पदवी मळे।। प।।
दर्शनरूपी दीपक लई, जाशुं अमे अपवर्गमां.।। ३।।