Atmadharma magazine - Ank 090
(Year 8 - Vir Nirvana Samvat 2477, A.D. 1951)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >

Download pdf file of magazine: http://samyakdarshan.org/DUD
Tiny url for this page: http://samyakdarshan.org/GmV79x

PDF/HTML Page 2 of 21

background image
९०
: संपादक :
वकील रामजी माणेकचंद दोशी
दुनियामां कोण महिमावंत?
... माहात्म्य करवा योग्य दुनियामां कांई होय तो ते सर्वज्ञप्रणीत धर्म अने
धर्मात्मा ज छे. ते धर्मात्मा कदाच वर्तमान निर्धन स्थितिमां होय पण अल्प–काळमां
जगतने वंद्य त्रण लोकना नाथ थवाना छे. लौकिकमां तो पुण्ये मोटो ते मोटो
कहेवाय छे; वकील, डॉकटर वगेरे दिवसमां केटला रूपिया पेदा करे छे ते उपरथी तेनी
किंमत थाय छे, पण खानदानी केवी छे, आत्म ज्ञान–श्रद्धा केवां छे ते उपर लोको
जोता नथी, –बहारमां जुए छे. परंतु धर्ममां तो धर्मात्माने बाह्य सामग्री केवी छे
ते जोवातुं नथी पण स्वतंत्र आत्मगुणनी समृद्धि केटली छे ते जोवाय छे.
समयसार प्रवचन भा. १ पृ. १४१