
जगतने वंद्य त्रण लोकना नाथ थवाना छे. लौकिकमां तो पुण्ये मोटो ते मोटो
कहेवाय छे; वकील, डॉकटर वगेरे दिवसमां केटला रूपिया पेदा करे छे ते उपरथी तेनी
किंमत थाय छे, पण खानदानी केवी छे, आत्म ज्ञान–श्रद्धा केवां छे ते उपर लोको
जोता नथी, –बहारमां जुए छे. परंतु धर्ममां तो धर्मात्माने बाह्य सामग्री केवी छे
ते जोवातुं नथी पण स्वतंत्र आत्मगुणनी समृद्धि केटली छे ते जोवाय छे.