
गुजराती भाषामां प्रसिद्ध करीने आ संस्था हर्षपूर्वक मुमुक्षुओना हाथमां मूके छे.
“भगवान श्री कुंदकुंद–कहान जैनशास्त्रमाळा” नुं आ प८ मुं पुष्प छे.
रसिकतावडे आ महा शास्त्रनो सर्वांग सुंदर गुजराती अनुवाद कर्यो छे. आवुं
शांतरसमय परम आध्यात्मिक शास्त्र आजे पण विद्यमान छे अने परम पूज्य
गुरुदेव द्वारा तेना अगाध आध्यात्मिक ऊंडाण प्रगट थतां जाय छे ते आपणुं
महा सद्भाग्य छे.
पद्यानुवाद (हरिगीत) छपाया छे. आखुं पुस्तक द्विरंगी छपायुं छे; उपरांत
भगवानश्री कुंदकुंदाचार्यदेव अने पू. सद्गुरुदेव–ए बंनेना अति आकर्षक अने
नकलो छपाई छे, एकंदर लगभग ४०० पृष्ठ छे. लागत मूल्य लगभग पांच
रूपिया थता होवा छतां तेनुं मूल्य मात्र साडात्रण रूपिया राखवामां आव्युं छे.
छे. जे जीवो आ परमेश्वर परमागममां कहेला भावोने हृदयगत करशे तेओ
अवश्य सुखधाम कारणपरमात्मानो निर्णय अने अनुभव करी, तेमां परिपूर्ण
लीनता पामी, शाश्वत परमानंददशाने प्राप्त करशे. ज्यां सुधी ए भावो हृदयगत
न थाय त्यां सुधी आत्मानुभवी महात्माना आश्रयपूर्वक ते संबंधी सूक्ष्म विचार
अने ऊंडुं अंतरशोधन कर्तव्य छे. ज्यां सुधी परद्रव्योथी पोतानुं सर्वथा भिन्नपणुं
भासे नहि अने पोताना क्षणिक पर्यायो उपरथी पण द्रष्टि छूटीने एकरूप
प्राप्तिनो उपाय छे.’