Atmadharma magazine - Ank 098
(Year 9 - Vir Nirvana Samvat 2478, A.D. 1952)
(Devanagari transliteration).

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मागसरसंपादकवर्ष नवमुं
रामजी माणेकचंद दोशी
२४७८वकीलअंकः २
‘वंदित्तु सव्वसिद्धे’
(‘सिद्धसमान सदा पद मेरो’)
श्री समयसारनी शरूआतमां ज
आचार्यदेव आत्मामां सिद्धपणुं स्थापे छेः
अहो! सिद्धभगवंतो! मारा हृदयस्थानमां
बिराजो. हुं सिद्धोनो आदर करुं छुं.........
मारामां सिद्ध थवानुं सामर्थ्य छे तेनो
विश्वास करीने हुं मारा आत्मामां सिद्धोने
स्थापुं छुं. मारो आत्मा सिद्धनो स्वभाव
जेवो छे एम स्वीकारीने हुं सिद्धोनो आदर
करुं छुं–भावनमस्कार करुं छुं.–आम
पोताना आत्मामां सिद्धपणुं स्थापवुं ते
धर्मनी अपूर्व मंगल शरूआत छे.
–श्री समयसार गा. १ उपर पू. गुरुदेवश्रीना
प्रवचनमांथी. वीर सं. २४७६ प्र. अषाड वद २.
छुटक नकल९८वार्षिक लवाजम
शाश्वत सुखनो मार्ग दर्शावतुं मासिक
चार आनात्रण रूपिया