Atmadharma magazine - Ank 100
(Year 9 - Vir Nirvana Samvat 2478, A.D. 1952)
(Devanagari transliteration).

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माघसंपादकवर्ष नवमुं
रामजी माणेकचंद दोशी
२४७८वकीलअंकः ४
सिद्ध अने समकिती
म्यग्दर्शन प्रगट थतां
आत्मानो अनुभव थाय छे. जेवो
सिद्ध भगवानने अनुभव होय छे
तेवो चोथे गुणस्थाने समकिती
जीवने अनुभव होय छे; सिद्धने
पूर्ण अनुभव होय छे ने
समकितीने अंशे अनुभव होय छे,
पण जात तो ते ज, समकिती
आनंदसागरना अमृतनो अपूर्व
स्वाद लई रह्यो छे, आनंदना
झरणामां मोज माणी रह्यो छे.
–समयसार बंधअधिकारना प्रवचनोमांथी.
छुटक नकल१००वार्षिक लवाजम
शाश्वत सुखनो मार्ग दर्शावतुं मासिक
चार आनात्रण रूपिया