Atmadharma magazine - Ank 101
(Year 9 - Vir Nirvana Samvat 2478, A.D. 1952)
(Devanagari transliteration).

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फागणसंपादकवर्ष नवमुं
रामजी माणेकचंद दोशी
२४७८वकीलअंकः प
सिद्धना संदेश
जेने साची श्रद्धा प्रगटे तेनुं
आखुं अंतर फरी जाय, हृदयपलटो
थई जाय, अंतरमां ऊथलपाथल थई
जाय, आंधळामांथी देखतो थाय;
अंतरनी ज्योत जागे तेनी दशानी
दिशा आखी फरी जाय; जेने
अंतरपलटो थाय तेने कोईने पूछवा
जवुं न पडे, तेनुं अंतर बेधडक पडकार
मारतुं साक्षी आपे के अमे हवे प्रभुना
मार्गमां भळ्‌या छीए. सिद्धना संदेशा
आवी चूकया छे, हवे टूंका काळे सिद्ध
थये छूटको, तेमां बीजुं कांई थाय
नहि, फेर पडे नहि.
समयसार–बंधअधिकारना प्रवचनोमांथी.
छुटक नकल१०१वार्षिक लवाजम
शाश्वत सुखनो मार्ग दर्शावतुं मासिक
चार आनात्रण रूपिया