Atmadharma magazine - Ank 101
(Year 9 - Vir Nirvana Samvat 2478, A.D. 1952)
(Devanagari transliteration).

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सोनगढमां श्री श्राविका–ब्रह्मचर्याश्रमनो उद्घाटन–महोत्सव
गया वर्षे सीमंधर भगवाननी प्रतिष्ठाना वार्षिक महोत्सव दरमियान कलकत्ताथी श्रीमान वच्छराजजी शेठ
(लाडनूवाळा) तेमना धर्मपत्नी सहित पहेली ज वार सोनगढ आवेला, पू. गुरुदेवश्रीना प्रवचनो सांभळीने तेम ज
सोनगढमां थती महान धर्मप्रभावना देखीने तेओ घणा खुशी थया हता. अने विशेष उल्लास आवी जतां तुरत ज
तेओए सोनगढमां जमीन खरीदीने एक लाख उपरांत रूा. ना खर्चे मकानो बंधाव्या, तेनुं नाम ‘श्रीमती गोगीदेवी
दि० जैन श्राविका–ब्रह्मचर्याश्रम’ आप्युं छे. माह सुद प ने गुरुवारे घणा उत्साहपूर्वक आ आश्रमनुं उद्घाटन थयुं छे.
आ आश्रममां पू. बेनश्रीबेन जेवा पवित्र आत्माओनी मंगल छायामां मुख्यपणे बालब्रह्मचारिणी बेनो वगेरे रहे छे.
उद्घाटनना आगला दिवसे आश्रममां जाप, शांतिपाठ, अभिषेक माटेनी जलयात्रा, अभिषेक, पूजन
वगेरे विधि थयेल हती. आ प्रसंगे श्री महावीरप्रभुजीने आश्रममां पधराव्या हता. अने भक्तो होंसपूर्वक गाता
हता के–
‘मारा जीवन तणी शुद्ध शेरीए प्रभु आव्या छे
मारा हैयाना अणमूला हार प्रभुजी पधार्या छे.’
माह सुद पांचमे सवारमां पू. बेनश्रीबेनना अगाउना निवासस्थानेथी गाजते वाजते प्रभातफेरी नीकळी
हती अने गाममां फरीने स्वाध्याय मंदिर आवेल हती; त्यांथी पू. गुरुदेवश्री सहित समस्त संघ आश्रममां आव्यो
हतो अने त्यां श्री वच्छराजजी शेठे आश्रमनुं उद्घाटन कर्युं हतुं अने पू. गुरुदेवश्रीए आश्रममां महापुनित– पगलां
करीने आश्रमने पावन कर्यो हतो... आ प्रसंगे आश्रमवासी बेनोनो अने संघनो हरख हैये समातो न हतो.
उद्घाटन बाद आश्रमना मंडपमां ज पू. गुरुदेवश्रीए मांगळिक संभळाव्युं हतुं अने संघ तरफथी श्री
वच्छराजजी शेठनो आभार मानवामां आव्यो हतो. श्री वच्छराजजी शेठे पू. गुरुदेवश्रीनो उपकार व्यक्त करीने,
हारतोराथी पू. बेनश्रीबेननुं सन्मान कर्युं हतुं, अने आश्रमना कायमी संचालन माटे रूा. २प००१, नी उदार
सहायता जाहेर करी हती.
त्यारबाद आश्रमना शणगारेला भव्य मंडपमां पू. गुरुदेवश्रीए प्रवचन कर्युं हतुं. प्रवचनमां
सिद्धभगवाननी भक्तिनुं अद्भूत वर्णन आव्युं हतुं. (आ प्रवचन आ ज अंकमां छपायेलुं छे.) प्रवचनबाद पू.
गुरुदेवश्रीनी स्तुति करवामां आवी हती. अने ‘पंचकल्याणक प्रवचनो’ नामना पुस्तकनुं प्रकाशन थयुं हतुं.
आजे पू. गुरुदेवश्रीना पुनित आहारदाननो प्रसंग आश्रमना प्रणेता पू. बेनश्री–बेनने त्यां थयो हतो.
अहो! उल्लासभर्या आहारदाननो ए भव्य प्रसंग नीरखतां भक्तोना अंतरमांथी अहो दानम् अहो दानम्
एवा उद्गारो नीकळी जता हता.
आश्रमना उद्घाटनना उल्लासनी साथे साथे बपोरे ‘मानस्थंभ’ माटेना फंडमां घणा उत्साहपूर्वक भाग
लईने मुमुक्षुओए ते फंडने ७००००, सीतेर हजार उपरांत पहोंचाडी दीधुं हतुं. (आ फंडनी विगत आ अंकमां
आपी छे.)
बपोरे भक्ति तथा आरती वगेरे उत्साहपूर्वक थया हता. रात्रे आश्रममां पण भक्ति थती हती. अने
आजे रात्रे वारिषेण कुमारनो संवाद बाळकोए कर्यो हतो.
आश्रमनी उद्घाटन विधि कराववा माटे कारकल (म्हैसुर) ना सुव्वय्य (सुव्रत) शास्त्री आव्या हता;
प्रवचन अने तत्त्वचर्चा वगेरेथी तेओ बहु खुशी थया हता, अने वारंवार कहेता हता के अहो! वक्तानी
प्रमाणताथी वचननी प्रमाणता छे. मद्रास तरफ पधारवानी विनंति करता पू. गुरुदेवश्रीने तेमणे कह्युं हतुं के
आपश्री मद्रास तरफ पधारो तो त्यां ज्ञाननो बहु उद्योत थाय.
उद्घाटन प्रसंगे ईंदोरथी श्री शेठ सर हुकमीचंदजी शेठनो पत्र आवेल, तेमां श्री वछराजजी शेठ उपर तेओ
लखे छे के ‘हम आपको हार्दिक धन्यवाद देते है; आप व आप की धर्मपत्नी द्वारा इस शुभ धार्मिक संस्थाकी
स्थापना की गई तथा सत्यधर्मके प्रवृत्तक आत्मकल्याणके हेतु जैनधर्मके अध्यात्मवादके उपदेशक सद्गुरु
श्री कानजी स्वामी पर आपने श्रद्धा कर सच्चे धर्म व सेवाभाव को समझ लिया व वैसी ही प्रवृती में लगे
हैं, यह जानकर जो हमें खुशी हुई है उसको हम लेखनी द्वारा नहीं लिख सकते...
हमारी तो यही कामना है कि आपने सच्चे गुरु की श्रद्धा व सच्चे धर्मके तत्त्वोंके मर्मको पहिचान
लिया है तो श्री पूज्य कानजी स्वामी की सेवामें ही रहकर शेष अधिक काल आत्मकल्याणके हेतु ही व्यतीत
कर उच्च कोटिके धर्मलाभको प्राप्त करना चाहिये... हमें खेद है कि हम उक्त अवसर पर सम्मिलित नहीं
हो सकते हैं... हमारी आकांक्षा है कि उद्घाटन समारोह बडे आनंद व समारोह के साथ पूर्ण हो।
पू. गुरुदेवश्रीना प्रथम ज वारना टूंक समागममां ज श्रीमान शेठ श्री वछराजजी शेठे तथा तेमना
धर्मपत्नी श्रीमती मनफूलादेवीए जे भक्ति–उत्साह अने उदारता बतावेल छे ते माटे तेओ धन्यवादने पात्र छे.
अंतमां ए ज भावना के, परम पूज्य गुरुदेवश्रीना महान प्रभावना उदयना प्रतापे स्थापित थयेला आ
आश्रममां, आश्रमवासी बहेनो आत्मलाभ पामो.....तेमां वृद्धि हो!