Atmadharma magazine - Ank 102
(Year 9 - Vir Nirvana Samvat 2478, A.D. 1952)
(Devanagari transliteration).

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चैत्रसंपादकवर्ष नवमुं
रामजी माणेकचंद दोशी
२४७८वकीलअंकः ६
उल्लास अने विश्वास
मारी परमात्मदशा मारा आत्मामांथी
ज प्रगटवानी छे; मारा आत्मामां ज मारी
परमात्मशक्ति भरी छे, तेमांथी हुं मारी
परमात्मदशा प्रगट करीने अल्पकाळे मोक्ष
पामवानो छुं–आम पोताने पोतानी
परमात्मशक्तिनो विश्वास अने आत्मवीर्यनो
उल्लास आववो जोईए.
जेने आवो परमात्मशक्तिनो विश्वास
अने आत्मवीर्यनो उल्लास होय तेने अंतरमां
छूटकारानो मार्ग थया विना रहे नहि.
–पू. गुरुदेवश्री.
छुटक नकल१०२वार्षिक लवाजम
शाश्वत सुखनो मार्ग दर्शावतुं मासिक
चार आनात्रण रूपिया