Atmadharma magazine - Ank 104
(Year 9 - Vir Nirvana Samvat 2478, A.D. 1952)
(Devanagari transliteration).

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सुवर्णपुरी समाचार
पू. गुरुदेवनो ६३ मो जन्मोत्सव
वैशाख सुद बीजे परम उपकारी पूज्य गुरुदेवश्रीनी ६३ मी जन्मजयंतिनो कल्याणकारी महोत्सव खास
उल्लासपूर्वक ऊजवायो हतो; तेमां दर वर्षनी माफक सवारमां देव–गुरु–शास्त्र दर्शन, पूजन, प्रवचनयात्रा,
भक्ति वगेरे कार्यक्रमो राखवामां आव्या हता. आ उपरांत केटलाक भक्तजनो तरफथी ६३ना मेळवाळी रकमो
जाहेर करवामां आवी हती, तेमां लगभग ३३०० रूा. थया हता.
श्री समवसरण प्रतिष्ठानो ११ मो वार्षिकोत्सव
वैशाख वद छठ्ठे श्री समवसरणनी प्रतिष्ठाना दस वर्ष पूर्ण थईने ११ मो वार्षिकोत्सव ऊजवायो हतो.
आ प्रसंगे श्री देव–गुरु–शास्त्र दर्शन–पूजन–भक्ति तेमज श्री जिनेन्द्रदेवनी रथयात्रा वगेरे कार्यक्रमो राखवामां
आव्या हतां. आजना मंगल प्रसंगना खास प्रवचनमां समवसरण संबंधी वात विस्तारथी आवी हती अने
‘खरेखर समवसरणने कोणे मान्युं कहेवाय?’ ए पू. गुरुदेवश्रीए पोतानी विशिष्ट ढबे समजाव्युं हतुं.
श्री मानस्तंभ–शिलान्यास महोत्सव
वैशाख वद सातमे मुमुक्षुओना घणा ज उल्लासनी वच्चे, परम पूज्य परम कृपाळु गुरुदेवश्रीनी मंगल
छायामां, पवित्रात्मा पू. भगवती बेनश्री चंपाबेनना सुहस्ते श्री मानस्तंभजीना शिलान्यासनो महोत्सव थयो
हतो. सवारमां देव–गुरु–शास्त्र दर्शन बाद शिलान्यास विधि थई हती. तेमां प्रथम पूजनादि थया बाद
पू. गुरुदेवश्रीए मांगळिक संभळाव्युं हतुं. मांगळिक बाद तुरत (सवारमां छ वागे) खूब ज उत्साहमय
वातावरण वच्चे पू. भगवती बेनश्री चंपाबेने शिलान्यासनी मंगल शरूआत करी हती, अने त्यार पछी शेठ श्री
नानालालभाई वगेरेए पण शिलान्यास कर्युं हतुं. त्यार बाद जिनमंदिरमां पूजन थयुं हतुं. आजे मंगल
प्रवचनमां पू. गुरुदेवश्रीए मानस्तंभनो महिमा समजाव्यो हतो. आजे मानस्तंभ संबंधी भक्ति पण खास
उल्लासथी करवामां आवी हती.
श्री स्वाध्याय मंदिरना उद्घाटननो अने समयसारजीनी स्थापनानो वार्षिकोत्सव
वैशाखवद आठमे श्री स्वाध्याय मंदिरना उद्घाटननो अने तेमां श्री समयसारजीनी स्थापनानो १पमो
वार्षिकोत्सव उजवायो हतो. आ दिवसे सवारमां देव–गुरु–शास्त्रनां दर्शन, पूजन बाद श्री समयसारजीनी
रथयात्रा नीकळी हती. प्रवचनमां पू. गुरुदेवश्रीए समयसारना पहेला कळश उपर खास प्रवचन करीने
समयसारनुं मांगळिक कर्युं हतुं. प्रवचन बाद शास्त्र पूजन थयुं हतुं. बपोरे समयसारजीनी स्वाध्याय थई हती.
भक्तिमां आजे समयसारजीनी स्थापना करीने खास शास्त्र भक्ति करवामां आवी हती.
–आ प्रमाणे वैशाख वद छठ्ठ–सातम ने आठम ए त्रणे दिवसो मंगल महोत्सवपूर्वक उजवाया हता,
अने भक्तजनोए बहु उल्लासपूर्वक तेमां भाग लीधो हतो. श्री मानस्तंभजीना शिलान्यास प्रसंगे मानस्तंभ–
फंड आगळ चाल्युं हतुं; तेमां लगभग रूा. एकलाख ने बे हजार थया छे. (फंडनी विगत आवता अंके अपाशे.)
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वैशाख सुद १३ ना रोज भाईश्री वछराज गुलाबचंदना मकाननुं वास्तु हतुं; आ प्रसंग निमित्ते तेमणे
पू. गुरुदेवश्रीनुं प्रवचन पोताने घेर कराव्युं हतुं, अने लगभग रूा. २प०) जुदा जुदा खातामां अर्पण कर्या
हता.
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सवारना प्रवचनमां श्री नियमसारजी–भागवतशास्त्र वंचातुं हतुं ते पूर्ण थईने वैशाख सुद पांचमथी
श्री कार्तिकेयस्वामी रचित द्वादशअनुप्रेक्षानुं वांचन शरू थयुं छे; बपोरे श्री पंचास्तिकाय वंचाय छे.
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