आत्माने अपूर्ण अने विकारवाळो ज मानी लईश तो तारा आत्मामांथी ते
अपूर्णता अने विकार टळशे शी रीते? अने पूर्णता ने शुद्धता आवशे क्यांथी?
पोताना आत्माने अपूर्ण अने विकारीपणे ज लक्षमां लेतां अपूर्णता अने
विकार टळता नथी, पण आत्माना पूर्ण शुद्ध स्वभावने श्रद्धामां लईने तेनुं
अवलंबन करतां पूर्णता अने शुद्धता प्रगटी जाय छे अने अपूर्णता तथा
पूर्णताना पंथनी शरूआत थाय छे.