Atmadharma magazine - Ank 111
(Year 10 - Vir Nirvana Samvat 2479, A.D. 1953)
(Devanagari transliteration).

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सुवर्णपुरी – समाचार [मागसर वद आठम]
मानस्तंभ : सोनगढमां ६३ फूट ऊंचा संगेमरमरना मानस्तंभनुं जे कार्य चाली रह्युं छे तेमां
नीचेनी त्रण पीठिकाओनुं चणतर पूरुं थतां तेना उपर भगवाननी बेठकनो पथर–के जेमां हाथीओ कोतरेला छे
ते–स्थापन करवानुं मुहूर्त मागसर सुद एकमने दिवसे हतुं. आ प्रसंगे मुमुक्षुओने घणो उल्लास हतो. प्रथम
परम पू. गुरुदेवश्रीए मांगळिक संभळाव्या बाद पू. बेनश्री–बेनजीना पवित्र हस्ते भगवाननी बेठकनुं स्थापन
थयुं हतुं. मानस्तंभमां २५० मणनो साथीयावाळो पत्थर चडाववानी तैयारी चाली रही छे.
मागसर सुद एकमना रोज भाईश्री शांतिलाल गीरधरलालना मकाननुं वास्तु हतुं; आ प्रसंग
निमित्ते तेमणे पू. गुरुदेवश्रीनुं प्रवचन पोताने त्यां कराव्युं हतुं अने जुदा जुदा खातामां लगभग एक हजार
रूा. वापर्या हता, तेमांथी रूा. ५०१/– श्री मानस्तंभना प्रतिष्ठा महोत्सव खाते आप्या हता.
श्री कशळचंद्रजी महाराजनो स्वर्गवास : मागसर सुद पांचमना रोज श्री कशळचंदजी महाराज ७३
वर्षनी वये स्वर्गवास पाम्या छे. प्रथम तेओ स्थानकवासी संप्रदायमां दीक्षित थया हता परंतु छेल्ला पंदर
वर्षथी परम पूज्य सद्गुरुदेवश्रीना सत्समागमनो लाभ लेवा माटे तेमनी सेवामां तेओ रहेता हता. तेमने
छेल्ला आठेक दिवसथी पेटमां कांईक व्याधि अचानक थयो हतो अने मागसर सुद पांचमे बपोरे साडात्रण वागे
पू. गुरुदेवश्रीना सान्निध्यमां तेओ स्वर्गवास पाम्या हता आ आकस्मिक प्रसंगथी मुमुक्षुमंडळमां सर्वत्र वैराग्य
छवाई गयो हतो. पू. गुरुदेवश्री अनेकवार वैराग्यभीना भावे कहेता के जीवनमां जेणे आत्मानी दरकार करीने
तत्त्वनुं चिंतन–मनन कर्युं हशे तथा वैराग्यनो अभ्यास अने घूंटण कर्युं हशे तेने मृत्यु प्रसंगे जागृतिपूर्वक
समाधिमरण थशे. आवी अनित्यताना प्रसंग देखीने बीजाए चेतवा जेवुं छे.
• ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा
(१) मागसर वद त्रीजना दिवसे वींछीयाना हिंमतलाल केशवलाल डगली तथा तेमना धर्मपत्नी
मरघाबेन–ए बंनेए सजोडे आजीवन ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा पू. गुरुदेवश्री पासे अंगीकार करी छे; ते माटे तेमने
धन्यवाद!
(२) मागसर वद आठमना दिवसे खंडवाना मोजीलाल घासीराम पोरवाड तथा तेमना धर्मपत्नी
जैनाबाई–ए बंनेए सजोडे आजीवन ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा पू. गुरुदेवश्री पासे अंगीकार करी छे; ते माटे तेमने
धन्यवाद!
प्रवचनमां सवारे मोक्षमार्ग प्रकाशक उपर व्याख्यान थाय छे तेमां चोथो अध्याय शरू थयेल छे;
बपोरे द्रव्यसंग्रह उपर प्रवचनो थता हता ते मागसर वद पांचमना रोज पूर्ण थयेल छे, अने मागसर वद
छठ्ठथी अनुभवप्रकाश उपर प्रवचनो शरू थयेल छे.
• कुंदकुंदप्रभुना आचार्यपद – आरोहणनो महोत्सव
मागसर वद आठमना रोज भगवान श्री कुंदकुंदाचार्यदेवनी आचार्यपदवीना आरोहणनो पवित्र दिवस
हतो. कुंदकुंदप्रभुनी शासन सम्राट पदवीनो वार्षिक महोत्सव सोनगढमां उत्साहपूर्वक ऊजवायो हतो. सवारमां
देव–गुरु–शास्त्र दर्शन अने कुंदकुंदप्रभुजीनुं खास पूजन करवामां आव्युं हतुं. पू. गुरुदेवश्रीए प्रवचनमां
कुंदकुंदाचार्यभगवाननो परम महिमा समजाव्यो हतो. सोनगढमां सीमंधर प्रभुजीनुं समवशरण छे तेमां कुंद–
कुंदप्रभुजी महाविदेहमां पधार्या छे–ए द्रश्य छे. तेमज मानस्तंभनी पीठिकाओमां कुंदकुंदप्रभुजीनुं विदेहगमन
वगेरे खास द्रश्यो कोतरवामां आव्या छे; कुंदकुंदप्रभुजीनो महिमा समजवा माटे ए बधुं दर्शनीय छे.