Atmadharma magazine - Ank 114
(Year 10 - Vir Nirvana Samvat 2479, A.D. 1953)
(Devanagari transliteration).

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प्रथम वैशाखसंपादकवर्ष दसमुं
रामजी माणेकचंद दोशी
२४७९वकीलखास अंक
दुर्लभ अवसर
आ दुर्लभ मनुष्यभवमां पण जो
पोताना शुद्ध स्वभावने जाणीने तेनो आदर
नहि करे तो पछी फरीथी कयारे आवो अवसर
मळवानो छे? पोतानो जेवो खरो स्वभाव छे
तेवो ओळखीने तेनो आदर करवो–श्रद्धा
करवी, ते ज आ मनुष्यपणामां जीवनुं कर्तव्य
छे. अरे प्राणीओ! आत्मानो शुद्धस्वभाव
समज्या वगर अनंतकाळमां बीजा बधा
भावो कर्यां छे; ए कोई भावो उपादेय नथी,
आत्मानो निश्चयस्वभाव ज उपादेय छे–एम
तमे श्रद्धा करो!
–नियमसार प्रवचनोमांथी
छुटक नकलखास अंकवार्षिक लवाजम
शाश्वत सुखनो मार्ग दर्शावतुं मासिक
चार आनात्रण रूपिया