Atmadharma magazine - Ank 114
(Year 10 - Vir Nirvana Samvat 2479, A.D. 1953)
(Devanagari transliteration).

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सुवर्णपुरी समाचार
आ अंकनुं निवेदनः मानस्तंभ प्रतिष्ठा–महोत्सवना समाचारो जाणवा माटे आत्मधर्मना घणा
जिज्ञासु ग्राहको आतुरताथी राह जोई रह्या हशे; परंतु ते समाचार वखतसर तैयार थई शकया नहि तेथी आ
अंक आटलो मोडो प्रसिद्ध करवो पडयो छे.–आ माटे सौ ग्राहको पासे हार्दिक क्षमा मांगीए छीए. आ अंक
जलदी छापीने प्रसिद्ध करी आपवा माटे ‘अनेकान्त मुद्रणालय’ (मोटा आंकडिया) ना स्टाफे जे महेनत लीधी
छे ते बदल तेने धन्यवाद घटे छे.
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञाः प्रतिष्ठा–महोत्सव दरमियान नीचेना भाईओ तथा बेनोए सजोडे ब्रह्मचर्य
प्रतिज्ञा पू. गुरुदेवश्री पासे अंगीकार करी छे.–
(१) चैत्र सुद आठमना रोज वनमां दीक्षा–कल्याणक बाद सावरकुंडलाना भाई श्री जगजीवन करसनदास
तथा तेमना धर्मपत्नी–ए बंनेए सजोडे आजीवन ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा अंगीकार करी छे.
(२) चैत्र सुद नोमना रोज केवळकल्याणक बाद रसनाळना भाईश्री हरगोविंदभाई खारा तथा तेमना
धर्मपत्नी–ए बंनेए सजोडे आजीवन ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा अंगीकार करी छे.
(३) चैत्र सुद दसम (बीजी) ना रोज प्रतिष्ठा बाद बरवाळाना भाईश्री पानाचंद भाईलाल तथा तेमना
धर्मपत्नी लीलावतीबेन–ए बंनेए सजोडे आजीवन ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा अंगीकार करी छे.
प्रतिज्ञा लेनारा सर्वे भाईओ तेम ज बेनोने धन्यवाद!ः अम घेर प्रभुजी पधार्याः चैत्र सुद १२ ना
शुभ दिवसे मोरबी शहेरमां श्री नेमिनाथ भगवान अने श्रीवासुपूज्य भगवानना वीतरागी जिनबिंब पधार्या
छे. सोनगढना प्रतिष्ठा–महोत्सव प्रसंगे पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामीना पावन हस्ते आ बंने जिनबिंबोनी
प्रतिष्ठा थई हती. प्रभुजी पधार्या ते प्रसंगे त्यांना मुमुक्षुसंघने घणो उल्लास हतो. मोरबीना आंगणे प्रभुजी
पधार्या ए त्यांना मुमुक्षुओना धनभाग्य छे!
आभारः अधिक वैशाख मासनो आ वधारानो अंक प्रसिद्ध करवा माटेनुं खर्च भाईश्री मोहनलाल
त्रिकमजी देसाई (भावनगर) तरफथी आपवामां आव्युं छे. आ रीते तेओ दरेक वखते अधिक मासना अंकनुं
खर्च आपे छे. आ माटे तेमनो आभार मानवामां आवे छे.
समयसारनी नवी आवृत्तिः गुजराती समयसारनी मागणी छेल्ला केटलाक वखत थया अनेक
जिज्ञासुओ तरफथी थई रही हती; तेथी तेनी नवी आवृत्ति छपावीने प्रसिद्ध करवामां आवी छे. आ आवृत्तिमां
श्री अमृतचंद्रसूरिकृत आत्मख्याति नामनी संस्कृत टीका पण छापवामां आवी छे. आ नवी आवृत्तिनी किंमत
रूा. ६–०–० राखवामां आवी छे.
विद्यार्थीओ माटे सुंदर तकः श्री जैन विद्यार्थी गृहनी नवी टर्म, ता. १–३–प३ थी शरू थई गई छे.
हाल, आ बोर्डिंगमां, त्रण त्रणमासनी एक टर्म गणी, एक वर्षनी चार टर्म नक्की करेल छे. एक टर्मनुं लवाजम,
विद्यार्थी दीठ आखी फीनुं रूा. ७प) राखेल छे. अहीं, अंग्रेजी पहेला धोरणथी शरू करी, एस. एस. सी. (मेट्रीक)
सुधीना अभ्यास माटे हाइस्कूल छे.
अहीं बोर्डिंगमां श्री जैनदर्शननो धार्मिक अभ्यास पण कराववामां आवे छे. उपरांत, अहीं परमोपकारी, परम
पूज्य, सद्गुरुदेवश्री कानजी स्वामी जेवा महान, अद्वितीय आध्यात्मिक संतना समागमनो अपूर्व लाभ मळे छे.
अहीं बोर्डिंगमां दस वर्षथी उपरनी उंमरना विद्यार्थीओ, के जेओ, गुजराती पांचमु धोरण अने तेथी
उपर गुजराती के अंग्रेजी अभ्यास करता होय, तेओने दाखल करवामां आवे छे.
अत्रेनी हाइस्कूलमां विद्यार्थीओने जून मासमां पण दाखल करवानो प्रबंध करवामां आव्यो छे. आथी,
जे विद्यार्थीओ चालु मासमां अगर आगामी ग्रीष्म वेकेशन पछी, जून मासमां दाखल थवा ईच्छता होय,
तेओए नीचेना सरनामे लखी संस्थाना धाराधोरण तथा प्रवेशपत्र मंगावी भरी मोकलवां.
लि. मंत्रीओ,
श्री जैन विद्यार्थीगृहः सोनगढ (सौराष्ट्र)
सूचनाः बेंकना चेको स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टना नामना नहीं मोकलतां, दोशी रामजी माणेकचंद तथा
शांतिलाल पोपटलालना नामना मोकलवा. (ट्रस्टना नामना चेक मोकलाशे तो पाछा मोकलवामां आवशे.)
वेचवानुं छेः प००० वांस, ४०० वळी, प०० वांसना पाला तथा ईलेकट्रीक कोपर वायर नं. १०नो
३०० रतल. वेचाणनी शरतो रूबरू मळवाथी कहेवाशे.
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टः सोनगढ