तो तेनी शोभामां खूब ज वृद्धि थई छे. महाविदेहमां विचरता गगनविहारी सीमंधरनाथ भगवान आ
मानस्तंभमां बिराजमान छे. खरेखर, महाविदेहमां सीमंधर भगवान पोताना दिव्यध्वनि द्वारा जे धर्म प्ररूपी
रह्या छे ते ज धर्मना स्तंभ अहीं पू. गुरुदेवश्रीए रोप्यां छे,–एम आ मानस्तंभ सूचवी रह्यो छे. मानस्तंभनी
भव्यता नीरखतां भक्तजनोने अतिआनंद थाय छे अने अंतरमां एवी ऊर्मि जागे छे के अहो! जाणे
महाविदेहनो ज एक मानस्तंभ अहीं आव्यो होय! अने वळी मानस्तंभमां ऊंचे ऊंचे आकाशमां बिराजमान
सीमंधर भगवानने नीरखतां एवुं लागे छे के जाणे महाविदेहमां विचरी रहेला सीमंधर भगवान अहींथी
देखाता होय! आवा आ पावन मानस्तंभनी छायामां आवतां ज शांत....शांत ऊर्मिओथी हृदय अत्यंत
विश्रांति पामे छे.
मासमां मानस्तंभ करवानो निर्णय थतां तरत ज भारतना विधविध स्थळोना भक्तजनोए मानस्तंभ माटे रूा.
एक लाख उपरांत फंड करीने ए निर्णयने ऊमंगपूर्वक वधावी लीधो....ने भक्तजनो ना अंतरमां दस दस वर्षथी
घूंटायेली भावना पूरी थवानो धन्य अवसर आव्यो.
नाठाने मानस्तंभनो ओर्डर अपायो.......
पीठिकाना चणतरनो प्रारंभ थतो त्यारे मंडळना बधा भक्तजनो हाथोहाथ चणतरकाम करीने पोतानो
उल्लास व्यक्त करता हता. ए वखते भक्तोने मानस्तंभनी लगनी लागी हती. मानस्तंभना वेगनना
समाचार आवतां आनंद फेलाई जतो. मानस्तंभना नाना मोटा दरेक सामानने भक्तजनो बहुमान पूर्वक
नीरखी नीरखीने जोतां