भव्य जीवो आ शुद्धआत्मानो आदर
करो, तेनी ओळखाण करो, तेना
मनुष्यभवमां पण जो पोताना
शुद्धस्वभावने जाणीने तेनो आदर
अवसर कयारे मळवानो छे?
Atmadharma magazine - Ank 115
(Year 10 - Vir Nirvana Samvat 2479, A.D. 1953)
(Devanagari transliteration).
PDF/HTML Page 2 of 21