श्री सनातन जैन शिक्षणवर्ग–सोनगढ
परीक्षा–वर्ष नवमुं
त्रीजी श्रेणी (उत्तम श्रेणी)
समयः– सवारना ९–१प थी ११ ता. १–६–प३
सोमवार.
प्रश्नः १. भावलिंगी मुनि कोने कहे छे, तेमनां अंतरंग अने बाह्य चिह्नो शुं छे अने तेमनी बाह्य
प्रवृत्ति केवी होय छे ते विषे २० लीटीनो निबंध लखो. (मार्क २०)
प्रश्नः २. वीतराग–विज्ञानरूप प्रयोजननी सिद्धि श्री अरहंतादिक वडे केवी रीते थाय छे ते कारण
आपीने समजावो. अथवा
मंगळ करनारने जिनशासनना भक्त देवादिक सहायमां निमित्त केम बनता नथी तेनां
कारण आपो. (मार्क १६)
प्रश्नः ३. समर्थ कारणनी व्याख्या लखो; अने (अ) एक जीवने वर्तमानमां औपशमिक सम्यग्दर्शन
प्रगटे छे तेमां तथा (ब) महाविदेहक्षेत्रमां बिराजमान एक मुनिने अनंत चतुष्टय प्रगटे छे
तेमां–ते व्याख्यामां आवेल नियमो स्पष्ट रीते समजावो. (मार्क १६)
प्रश्नः ४. नीचेनी मान्यतावाळा कया अभावनो नकार करे छे? ते कारणो आपीने समजावो.
(गमे ते चारना जवाब लखवा.) (मार्क १६)
(१) वर्तमानमां एक जीवने अज्ञान वर्ते छे कारण के तेने कुगुरुनो उपदेश मळ्यो छे.
(२) अत्यारे एक जीवने मिथ्यात्व वर्ते छे, तेने टाळीने ते कदी सम्यग्दर्शन प्रगट करी शकशे नहि.
(३) पूर्वे एक जीवे घणो विकार कर्यो हतो तेथी ते वर्तमानमां पण विकार करे छे.
(४) केवळी भगवानने चार अघाति कर्मो बाकी छे तेथी तेओ सिद्ध दशाने प्राप्त करी शकता नथी.
(प) पवननो झपाटो आवतां वृक्षनां पांदडां चाल्यां ने तेथी तेनी नीचे पडछायो पडयो.
प्रश्नः प. नीचेनुं कथन कया नयनुं छे ने तेमां निश्चय–व्यवहार समजावो. (गमे ते चारना जवाब लखवा.)
(मार्क १६)
(१) कोई जीव प्रबळ कर्मना उदयने कारणे अगियारमा गुणस्थानेथी पडीने मिथ्यात्वी थई जाय छे.
(२) जीव स्वपुरुषार्थ वडे अनंत वीर्य प्रगट करी शके छे.
(३) भगवाननो दिव्यध्वनि जीवोने तत्त्वज्ञाननुं कारण छे.
(४) अनादिकाळथी अज्ञानी जीव पोताना अज्ञान तथा मोहभावने लीधे संसारमां
परिभ्रमण करे छे.
(प) श्री सीमंधर भगवाननां दर्शन करवाथी मने शुभ भाव थयो.
(६) धर्मास्तिकायना अभावने लीधे सिद्ध भगवान अलोकमां जई शकता नथी.
(७) श्रेणिक राजा नरकगति नामकर्मना उदयने कारणे नरकमां गया.
प्रश्नः ६. अ. नीचेनामांथी गमे ते चारनी व्याख्या लखो. (मार्क ८)
अवग्रह, मंगळ, मोक्षमार्ग, उपादान कारण, संकलेश परिणाम, प्रध्वंसाभाव, चेतना.
नीचेनी पंक्तिओ समजावो. (मार्क ८)
उपादान बल जहं तहां, नहि निमित्तको दाव,
एक चक्रसों रथ चले, रविको यहै स्वभाव.
सधै वस्तु असहाय जहां, तहां निमित्त है कौन,
ज्यों जहाज परवाहमें, तिरे सहज विन पौन.
(आ प्रश्नोना जवाब आवता अंकमां वांचो.)