Atmadharma magazine - Ank 116
(Year 10 - Vir Nirvana Samvat 2479, A.D. 1953)
(Devanagari transliteration).

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जेठसंपादकवर्ष दसमुं
रामजी माणेकचंद दोशी
२४७९वकीलअंकः ९
हे भव्यजीव! तुं तारी
बुद्धि शुद्ध आत्मामां जोड. ए
शुद्ध आत्मस्वभावनी भावना
करी करीने ज भूतकाळना
मुमुक्षु जीवो मुक्ति पाम्या छे,
भविष्यमां मुक्त थनारा जीवो
ए ज रीते मुक्त थशे ने
अत्यारे पण महाविदेह वगेरे
क्षेत्रमां भव्यजीवो ए ज
रीतथी मुक्त थाय छे.
–नियमसार प्रवचनो.
छुटक नकल११६वार्षिक लवाजम
शाश्वत सुखनो मार्ग दर्शावतुं मासिक
चार आनात्रण रूपिया