तरफथी ‘६४’ नी रकमो जाहेर करवामां आवी हती, तेमां लगभग २प००) उपरांत रकम थई हती. अने
पोरबंदरना शेठ श्री नेमिदास खुशालदास तथा तेमनां धर्मपत्नी तरफथी बोटादना जिनमंदिरने रूा. ६४×१००
चोसठसोनी सहायता अर्पण करवामां आवी छे. आजना मंगल सुप्रभाते मानस्तंभ उपर बिराजमान विदेही–
नाथ सीमंधरप्रभुनी यात्रा करवा माटे पु. गुरुदेव मानस्तंभ उपर पधार्या हता. सांजे सीमंधरप्रभुनी आरति
६४ दीपकोथी उतारवामां आवी हती. पू. गुरुदेवश्री अनेक भव्य मुमुक्षु जीवोना जीवनना आधार अने
भवभ्रमणथी थाकेला जीवोनुं विश्रामस्थान छे, तेथी दर वर्षे विधविध उल्लासपूर्वक तेओश्रीनो पवित्र
जन्मोत्सव ऊजवाय छे.
मानस्तंभना चोकमां ज करवामां आवे छे. आ वैशाख सुद दसमे मानस्तंभजीनी मासीक तिथि उपरांत श्री
महावीर प्रभुजीना केवळज्ञान–कल्याणकनो मंगल–दिवस हतो; तेथी सहज उल्लास आवी जतां सांजे आश्रममां
पु. बेनश्री–बेने घणी अद्भुत भक्ति करावी हती. ए पावन भक्तिमां भाग लेवानुं सौभाग्य जेमने मल्युं हतुं
एवा अनेक भक्तो कहेता हता के “सोनगढमां बार वर्षमां कदी न थई होय एवी ए अद्भुत भक्ति हती...
आवी अद्भुत भक्ति अमे कदी जोई नथी...ए वखते रोमेरोम भक्तिरसमां भींजाई जता हता.” अने त्रण
कलाक सुधी चालेली ए परम पावन भक्ति जोवानुं सौभाग्य जेमने नहोतुं सांपडयुं ते भक्तजनो एवी भावना
करता हता के अरेरे! आवी पावन भक्ति जोवानुं सौभाग्य अमने क्यारे मळे? मानस्तंभ प्रतिष्ठा–महोत्सवनो
उत्साह हजी पुरो थतो नथी तेथी भक्तिना विधविध प्रसंगो वारंवार बन्या करे छे, पण तेमां आ भक्तिनो
प्रसंग जुदी ज जातनो हतो. सोनगढनी भक्तिना इतिहासमां ए भक्तिप्रसंगनुं गौरवभर्युं स्थान चिंरजीव
बनी रहेशे.
गवडावी हती. पू. गुरुदेवनी साथे साथे मानस्तंभनी यात्रा तथा भक्तिमां मुमुक्षुओने घणो हर्ष थतो हतो.
त्यांना उपशांत वातावरणमां पु. गुरुदेवना श्रीमुखथी भक्तिरसनी उपशांत धारा वहेती अने भक्तजनो ए
पावन धारा झीलीने शांत रसमां तरबोळ थता हता. बहेनोना मंडळमां पण मानस्तंभनी समूह यात्रा अने
भक्ति पू. बेनश्रीबेने बे वार करावी छे. केटलीकवार मानस्तंभ उपर खास विशेष पुजन करवामां आवे छे.
आव्युं छे.” परंतु भूलथी ते लेख छापवुं रही गयुं छे. तो ते हवे पछीना अंकमां आपवामां आवशे.