Atmadharma magazine - Ank 117
(Year 10 - Vir Nirvana Samvat 2479, A.D. 1953)
(Devanagari transliteration).

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ATMADHARMA Regd. No. 4787
शासन प्रभावनानो धन्य दिवस!
राजगृही नगरीमां विपुलाचल पर्वत उपर महावीर
प्रभुना दिव्यध्वनि द्वारा सौथी पहेली धर्मामृतनी वर्षा
अषाड वद एकमे थई अने एनी पावन धाराने झीलीने,
छांसठ दिवसथी तलसता भव्यजीवोना हैया उपशांत थया.

–अषाड वद एकम... ए वीरशासन–प्रवर्तननो
धन्य दिवस छे. ए धन्य दिवसे ज ईन्द्रभूति
(गौतमस्वामी) महावीर प्रभुना समवसरणमां आव्या...
दिव्य मानस्तंभने देखतां ज भगवानना अद्भुत
धर्मवैभव पासे तेमनुं मान गळी गयुं... अने तेओ
भगवानना गणधर थया.

धन्य छे... दिव्यध्वनिना दातार अने झीलनार ए
पवित्र आत्माओने! धन्य छे.. तेमना पवित्र भावोने!
धन्य छे... ए पावन क्षेत्रने! अने धन्य छे ते मंगळ
काळने!
प्रकाशक:– श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट वती जमनादास माणेकचंद रवाणी, मोटा आंकडिया: (अमरेली)
मुद्रक:– चुनीलाल माणेकचंद रवाणी, शिष्ट साहित्य मुद्रणालय: मोटा आंकडिया, (अमरेली) ता. ११–०७–५३