Atmadharma magazine - Ank 120
(Year 10 - Vir Nirvana Samvat 2479, A.D. 1953)
(Devanagari transliteration).

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आत्मधर्म: १२०: : २६५ :
विषय अंक–पृष्ठ विषय अंक–पृष्ठ
पू. गुरुदेवश्रीनी जन्मभूमि उमराळानगरीमां मानस्तंभ–समाचार ११०–२२
जन्मभूमिस्थान मंदिरनुं शिलान्यास मूहुर्त ११६–१७६ मानस्तंभ–समाचार ११२–६२
पू. गुरुदेवश्रीनो ६४मो जन्मोत्सव ११६–१६२ मानस्तंभस्तुति (काव्य) ११४–१२०
पूर्णतानो पंथ १११–४१ (फागण वद दसमना मंगलदिने गवायेलुं)
पंचकल्याणक–प्रतिष्ठा–महोत्सव ११३–८२ मुक्तिनो पंथ ११६–१६१
पंचकल्याणक–प्रतिष्ठा–महोत्सव (समाचार) खास–१२३
पंचमकाळना तीर्थंकर ने पंचमकाळना गणधर ११०–२७ वेचवानुं छे खास–१२२
प्रौढ वयना गृहस्थो माटे जैनदर्शन शिक्षणवर्ग११७–१८६ यागमंडल विधान खास–१२४
फागण वद दसमना मंगलदिने गवायेलुं काव्य ११४–१२० लग्ननी तैयारी खास–१२८
–फोतरां खांडे छे ११४–११७ लिया मुनिने आहार.. जयजयकार.. जयजयकार खास–१३२
बेनश्रीबेननो अंतरंगउल्लास अने लगनी खास–१३८ (आहारदान प्रसंगनुं काव्य)
बाह्यसामग्री ते पूर्वना पुण्य–पाप कर्मनुं फळ छे (१) ११८–२०३ वधावुं मानस्तंभ भगवान (काव्य)
११२–७३
बाह्यसामग्री ते पूर्वना पुण्य–पाप कर्मनुं फळ छे (२) १२०–२६१ (भगवाननी बेठकना स्थापन–प्रसंगनी खास भक्ति)
ब्रह्मचर्य–प्रतिज्ञा १११–४२
विकथा १०९–१४
ब्रह्मचर्य–प्रतिज्ञा खास–१२२ ‘विदेहधाम’ नी शोभा अने गुरुदेवनो अद्भुत प्रभाव खास–१३६
• भ – म • वद्यिार्थीओ माटे सुंदर तक (वद्यिार्थी गृहनी जाहेरात) ११०–४०
भूल सुधार ११९–२२६ विद्यार्थीओ माटे सुंदर तक (विद्यार्थी गृहनी जाहेरात) १११–६०
भगवाननां दर्शन ११३–८१ विद्यार्थीओ माटे सुंदर तक (विद्यार्थी गृहनी जाहेरात) ११२–८०
भगवाननी भक्ति ११२–७९ विद्यार्थीओ माटे सुंदर तक (विद्यार्थी गृहनी जाहेरात) ११३–१००
भगवाननो भक्त शुं करे? ११३–९८ विद्यार्थीओ माटे सुंदर तक (विद्यार्थी गृहनी जाहेरात) खास–१२२
भवभ्रमण केम न अटक्युं? १०९–८ विषयोमांथी सुखबुद्धि खरेखर क्यारे छ्रूटी कहेवाय? १०९–३
भव्यजीवोना कल्याणने माटे संतोए केवो उपदेश कर्यो? ११६–१६६ वीतरागनो भक्त ११२–६१
भावलिंगी मुनिनुं स्वरूप (शिक्षणवर्गनो निबंध) ११८–२२० वीतरागमुद्रित जिनप्रतिमा १२०–२५५
मानस्तंभ १११–४२ वैराग्य खास–१२८
मानस्तंभ–अभिषेक अने अद्भुत शोभा ११६–१८२ वांकानेरमां जिनमंदिरनुं खातमुहूर्त १०९–१९
मानस्तंभनी अद्भुत भक्ति ११६–१६२ व्यवहारमां विमूढद्रष्टिवाळो जीव फोतरां खांडे छे ११४–११७
मानस्तंभनी यात्रा खास–१३६ व्यवहारमूढ जीवोनो अभिप्राय ११५–१५०
मानस्तंभनी वेदी तथा कलश अने ध्वजशुद्धि खास–१२७ श्र
मानस्तंभनो पूर्वईतिहास खास–१२३
मानस्तंभ–महोतसवमां पू. बेनश्रीबेननो शासनप्रभावनानो धन्य दिवस ११७–२००
अंतरंगउल्लास अने लगनी खास–१३८ शुद्ध आत्मानी उपलब्धिथी मोहनो नाश थाय छे १०९–५
मानस्तंभ–महोत्सव वखते पू. गुरुदेवश्रीना सुहस्ते शुद्ध आत्मानो अनुभव केम थाय? ११०–३३
प्रतिष्ठित थयेला ३२ जिनबिंबोनी यादी खास–१३८ शुद्धभावथी धर्म ११५–१४९
मानस्तंभमां जिनबिंबस्थापन खास–१३४ शुद्धात्मानी अनुभूति माटे तलसतो शिष्य पूछे छे अने
मानस्तंभमां सीमंधर भगवाननी श्री गुरु तेने शुद्धात्माना अनुभवनी रीत समजावे छे ११०–३३
पंचकल्याणक–प्रतिष्ठानो महोत्सव ११३–८२ शांति क्यां शोधवी? ११४–११८
मानस्तंभमां सीमंधरभगवाननी प्रतिष्ठाना पंचकल्याणक शांतिनाथ प्रभुए करेलो शांतिनो उपदेश (१) ११४–१०३
महोत्सवनां पवित्र संस्मरणो
खास–१२३ शांतिनाथ प्रभुए करेलो शांतिनो उपदेश (२) ११९–२२७
मानस्तंभ (–शुं अने क्यां?) ११६–१७७ शांतिनाथ प्रभुए करेलो शांतिनो उपदेश (३) १२०–२५१