Atmadharma magazine - Ank 121
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

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शाश्वत सुखनो मार्ग दर्शावतुं मासिक
आत्मधर्म
वर्ष अगियारमुंःः स म्पा द कःःकारतक
अंक पहेलोरामजी माणेकचंद दोशी२४८०
* मंगल सुप्रभात *
बेसता वर्षनुं मांगलिक
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केवळज्ञानरूपी दिव्य सुप्रभात जयवंत वर्तो....ते केवळज्ञानना कारणभूत एवुं
सम्यग्दर्शनरूपी सुप्रभात जयवंत वर्तो. जे आत्माओमां आवा मंगल सुप्रभातनो उदय थयो छे
तेमना पवित्र चरणकमळमां नमस्कार हो.
सुप्रभातमंगलमां पू. गुरुदेव एवुं अपूर्व मांगळिक संभळावे छे के जेनाथी आत्मानी
मुक्ति थायः ‘अहो जीवो! तमारा आत्मामां परिपूर्ण प्रभुता भरी छे. ते ज मंगळरूप छे. ते
चैतन्यप्रभुतानी श्रद्धा करवी ते मंगळ छे, तेनुं ज्ञान करवुं ते मंगळ छे, अने तेमां एकाग्रता
करवी ते मंगळ छे. चैतन्य–चमत्कार आत्मानी प्रभुतानो विश्वास करता सम्यग्दर्शनरूपी
सुप्रभातनो उदय थाय छे ने पछी अल्पकाळमां केवळज्ञानरूपी पूर्ण सुप्रभातनो उदय थाय छे. –
आवा मंगळरूप सुप्रभात जयवंत वर्तो. आत्मामां आवुं मंगलसुप्रभात प्रगट करवा माटे, हे
जीवो! तमे तमारी प्रभुताने ओळखो.’
–आत्मानुं प्रभुत्व ओळखावनारा अने मंगल–सुप्रभातनो उदय करनारा एवा हे कृपाळु
गुरुदेव! आ नूतनवर्षना प्रारंभमां आपश्रीने सर्वे भक्तजनोना अंतरनी अभिवंदना...
छूटक नकल चार आना (१र१) वार्षिक लवाजम त्रण रूपिया