Atmadharma magazine - Ank 121
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

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सुवर्णपुरी समाचार
(आसो वद १२)
*परम पूज्य सद्गुरुदेव सुखशांतिमां बिराजे छे.
* हाल सवारना प्रवचनमां श्री मोक्षमार्ग–प्रकाशकनो सातमो अध्याय चाले छे, अने बपोरना
प्रवचनमां श्री समयसारजीनो पुण्य–पापअधिकार चाले छे. आ उपरांत रात्रिचर्चा, भक्ति
वगेरे कार्यक्रमो हंमेश मुजब थाय छे.
*श्री जैन स्वाध्याय मंदिर तरफथी प्रकाशित चालु सालना जैन तिथि–दर्पण दरेक गामना मुमुक्षु–
मंडळ उपर मोकली आपवामां आवशे, त्यांथी दरेके मेळवी लेवुं. ज्यां मुमुक्षु–मंडळ न होय
तेमणे सोनगढथी मंगावी लेवुं.
*आत्मधर्मना जे ग्राहकोए हजी सुधी लवाजम न भर्युं होय तेओने खास विनंति छे के पोतानुं
लवाजम कारतक सुद पूर्णिमा सुधीमां मोकली आपे, जेथी वी. पी. नी तकलीफ बची जाय, अने
व्यवस्थामां सगवडता रहे. कारतक सुद पूर्णिमा पछी वी. पी. थशे. आप ग्राहक तरीके चालु
रहेवा न मांगता हो तो अगाउथी खबर आपशो.
*वैराग्यनो एक प्रसंग
वढवाण शहेरना भाईश्री उजमशी तलकशी शाह एकाएक हृदय बंध पडी जवाथी आसो वद
पांचमना रोज सवारमां स्वर्गवास पाम्या छे. तेओ पू. गुरुदेवश्रीना भक्त अने वढवाण
मुमुक्षु–मंडळना एक आगेवान कार्यकर हता; वढवाणमां जिनमंदिर थयुं तेमां तेमणे
उत्साहपूर्वक खास भाग लीधो हतो; अने तेनी वेदी–प्रतिष्ठा प्रसंगे पू. गुरुदेव त्यां पधारे– ए
प्रसंग जोवा माटे तेओ घणा आतुर अने उत्साहित हता. तेमनुं एकाएक अवसान थतां
वढवाण मुमुक्षु–मंडळे एक सभा द्वारा तेमना प्रत्येनी लागणी व्यक्त करी हती. देहनी
क्षणभंगुरताना आवा प्रसंगो देखीने जिज्ञासु जीवोए जीवनमां क्षणे–क्षणे अविनाशी
चैतन्यतत्त्वनी भावना करवा जेवी छे.