“सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः”
वर्ष अगियारमुं : संपादक : फागण
अंक पांचमो रामजी माणेकचंद दोशी सं. २०१०
हाजराहजूर भगवान
धर्मी जीवनी द्रष्टि सदाय पोताना शुद्धात्मा उपर पडी
छे, तेथी तेनी द्रष्टिमां चैतन्यभगवान सदाय हाजराहजूर
वर्ते छे. समकीतिनी भूतार्थद्रष्टिमां शुद्धात्मा सदाय समीप
वर्ते छे ने विकल्पोनो पडदो तेनी द्रष्टिमांथी दूर थई गयो छे.
जे जीव अशुद्धताना विकल्पमां ज अटक्यो छे ने एकाकार
ज्ञायक–स्वभावमां वळतो नथी तेने तो रागनी समीपता छे
ने शुद्धात्मा दूर छे. भेदद्रष्टिमां भगवान आत्मा समीप नथी
पण दूर छे, अने अभेदद्रष्टिथी देखतां अंतरमां
चैतन्यभगवान हाजराहजूर समीप ज छे.
ज्ञानस्वरूप आत्मा
वार्षिक लवाजम [१२५] छूटक नकल
त्रण रूपिया चार आना
जैन स्वाध्याय मंदिर सोनगढ (सौराष्ट्र)