Atmadharma magazine - Ank 125
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 3 of 21

background image
: ८६ : आत्मधर्म–१२५ : फागण : २०१० :
पोरबंदरमां प्रतिष्ठा–महोत्सव
[महा वद : ११]
परम पूज्य सदगुरुदेव श्री कानजी स्वामी पोरबंदर पधार्या छे अने सुखशांतिमां बिराजे
छे. पोरबंदरमां शेठ श्री नेमिदास खुशालभाईए नवुं जिनमंदिर बंधावेल छे, तेमां मूळनायक
पार्श्वनाथ भगवान वगेरे जिनेन्द्र भगवंतोनी प्रतिष्ठानो पंचकल्याणक महोत्सव चाली रह्यो छे.
महा वद चोथना रोज पू. गुरुदेव पोरबंदर पधार्या त्यारे त्यांनी जनताए उत्साहपूर्वक स्वागत
कर्युं हतुं. प्रतिष्ठाविधि कराववा माटे इंदोरना पंडितश्री नाथुलालजी आव्या छे अने महा वद ७
ना रोज प्रतिष्ठा मंडपमां जिनेन्द्रभगवानने बिरामान कर्या छे तेमज झंडारोपण थयुं छे, तथा
जापनो प्रारंभ थयो छे. महा वद ८ थी श्री सीमंधरादि वीस विहरमान भगवानना पूजननी
शरूआत थई छे. महा वद ९ तथा १० ना रोज ते पूजा चालु रही. महा वद ११ सवारे पू.
गुरुदेवना प्रवचन बाद जलयात्रा विधि थई हती. महोत्सवना त्यार पछीना समाचारो आवता
अंकमां आपवामां आवशे. अहीं पोरबंदरनी जनता पू. गुरुदेवना अपूर्व प्रवचनोनो लाभ घणी
मोटी संख्यामां ले छे, ने प्रवचन सांभळवानो रस लोकोमां वधतो जाय छे.
पोरबंदरथी विहार करीने पू. गुरुदेव जामनगर थईने मोरबी तथा वांकानेर पधारशे.
मोरबीना पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सवनुं मुहूर्त चैत्र सुद २ छे अने वांकानेरमां पंचकल्याणक
प्रतिष्ठा–महोत्सवनुं मुहूर्त चैत्र सुद १३ छे.
* जेतपुर शहेरमां जिनमंदिर माटेनी जाहेरात *
परम पूज्य सद्गुरुदेव सौराष्ट्रमां मंगलविहार करी रह्या छे ने पगले पगले जैनधर्मनी
महान प्रभावना करी रह्या छे. विहार दरमियान महा सुद ८ ना रोज पू. गुरुदेव जेतपुर
शहेरमां पधार्या त्यारे त्यांना भक्तोने घणो उल्लास हतो; पू. गुरुदेवना प्रवचन बाद जेतपुर
शहेरमां जिनमंदिर बंधाववा माटे त्यांना भक्तजनो तरफथी नीचे मुजब रकमो उल्लासथी जाहेर
करवामां आवी हती–
२००१) देसाई भाईचंद जूठाभाई
१००१) माणेकचंद पूंजाभाई
१००१) कागदी जटाशंकर माणेकचंद
१००१) देसाई ताराचंद अविचळ
१००१) पोपटलाल केशवजी
५०१) कामदार जयंतिलाल चत्रभुज
५०१) देसाई मोहनलाल त्रिकमजी
उपरनी शुभ जाहेरात सांभळीने बधाने घणो हर्ष थयो हतो.
पू. गुरुदेवना आश्चर्यकारी प्रभावना उदयथी आजे ठेर ठेर जिनेन्द्र भगवंतोनी स्थापना
थती जाय छे अने जैनशासनना जयनाद गाजी रह्या छे. उपरना मंगल–कार्यनी जाहेरात माटे
जेतपुरना मुमुक्षुओने धन्यवाद!