Atmadharma magazine - Ank 126
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

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: चैत्र : २०१० : आत्मधर्म–१२६ : १२३ :
पोरबंदरमां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव प्रसंगे
पू.गुरुदेवना मंगलहस्ते प्रतिष्ठिति थयेला
जिनबिंबो
(१) श्री पार्श्वनाथ भगवान (मूळनायक) पोरबंदर
(२) श्री पार्श्वनाथ भगवान (विधिनायक) पोरबंदर
(३) श्री नेमिनाथ भगवान पोरबंदर
(४) श्री शांतिनाथ भगवान पोरबंदर
(५) श्री सीमंधर भगवान उमराळा
(६) श्री आदिनाथ भगवान उमराळा
(७) श्री महावीर भगवान (स्फटिकना)
(८) श्री महावीर भगवान (चांदीना) अमदावाद
(९) श्री महावीर भगवान जेतपुर
(१०) श्री नेमिनाथ भगवान वडीआ
(११) श्री शांतिनाथ भगवान मुंबई
फागण सुद एकमना रोज पोरबंदर शहेरमां भगवान श्री पार्श्वनाथ प्रभुना दीक्षाकल्याणकनो महोत्सव
थयो, ते प्रसंगे दीक्षावनमां परमपूज्य सद्गुरुदेवना वैराग्य प्रवचन बाद राजकोटना भाईश्री धीरजलाल
भगवानजीए आजीवन ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा अंगीकार करी छे, तेओ लुवाणा ज्ञातिना छे, अने बालब्रह्मचारी छे.
आ शुभ कार्य माटे तेमने अभिनंदन घटे छे.
वांकानेरमां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सवनुं मुहूर्त चैत्र सुद १३ छे. पू.गुरुदेव मोरबीथी विहार करीने
चैत्र सुद आठमना रोज वांकानेर पधारशे.
परमपूज्य सद्गुरुदेव श्री कानजीस्वामी फागण सुद १२ ना रोज मोरबी पधार्या छे, अने तेओश्रीनी मंगल छायामां
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव उजवाई रह्यो छे. फागण वद १० ना मंगल दिने महावीरनगर (प्रतिष्ठा मंडप)मां श्री
जिनेन्द्रभगवाननी पधारमणी थई तथा झंडारोपण थयुं हतुं. तेमज वीस विहरमान तीर्थंकरोनुं पूजनविधान शरु थयुं हतुं.
फागण वद ११ ना रोज सवारमां जलयात्रानुं जुलूस नीकळ्युं हतुं. अने सांजे पूजननी पूर्णता बाद जिनेन्द्र अभिषेक थयो
हतो.
फागण वद १२ ना रोज परमपूज्य सद्गुरुदेव मोरबी पधार्या हता, अने तेओश्रीनी मंगल छायामां आचार्य
अनुज्ञाविधि तथा इन्द्रप्रतिष्ठा थई हती. त्यारबाद पू. गुरुदेवना स्वागतनुं भव्य जुलूस तथा तेनी साथे ईन्द्रप्रतिष्ठानुं
जुलूस नीकळ्युं हतुं. मोरबीनी जनताए घणा उल्लासपूर्वक पू. गुरुदेवनुं स्वागत कर्युं हतुं. पू. गुरुदेवनुं प्रवचन सांभळवा
हजारो लोको उत्साहपूर्वक रस लई रह्या छे. अत्यारे पू. गुरुदेवनी छायामां प्रतिष्ठा महोत्सव चाली रह्यो छे तेना समाचार
हवे पछी आपवामां आवशे.