महोत्सव ठेरठेर जोवा मळे छे. आ वर्षमां पोरबंदर, मोरबी, अने वांकानेरमां पंचकल्याणक–
प्रतिष्ठा–महोत्सवो तेमज बीजा अनेक स्थळोए वेदी–प्रतिष्ठा–महोत्सव निमित्ते पू. गुरुदेव
सौराष्ट्रमां मंगल–विहार करी रह्या छे, अने साथे साथे अनेक गामोमां नवा जिनमंदिरोना
बीजडां रोपता जाय छे.
अंकमां आवी गया छे, बीजा विशेष समाचार अहीं आपवामां आव्या छे–
जलथी जिनमंदिरमां पू. बेनश्री बेनना मंगल हस्ते वेदी शुद्धि थई हती.
महोत्सव माटे आज्ञा मागी हती, अने पू. गुरुदेवे ते माटे आज्ञा आपीने मांगळिक संभळाव्युं
हतुं. त्यारबाद “नांदि विधान” थयुं हतुं, पछी “ईन्द्रप्रतिष्ठा” थई हती, अने पू. गुरुदेवना
प्रवचन बाद ईन्द्रप्रतिष्ठानुं जुलूस नीकळ्युं हतुं. त्यारबाद यागमंडलविधान पूजननो प्रारंभ
थयो हतो.
देखाव थयो हतो. सौधर्मईन्द्र अवधिज्ञानथी जाणे छे के छ महिना बाद भगवान पार्श्वनाथ
वामादेवी माताना गर्भमां आववाना छे. तेथी कुबेरने रत्नवृष्टि करवानी आज्ञा आपे छे
तेमज आठ देवीओने भगवानना मातानी सेवा माटे मोकले छे, अने ईन्द्रो वस्त्राभूषणनी
भेट लईने माता–पिता पासे आवे छे, देवीओ मातानी सेवा करे छे, माताजी सोळ मंगल
स्वप्नो देखे छे–ईत्यादि सुंदर द्रश्यो थया हता. आ उपरांत श्री पार्श्वनाथ भगवानना पूर्व
भवोनुं द्रश्य पण संक्षेपमां बताववामां आव्युं हतुं.
स्वप्ननी वात करे छे, श्री अश्वसेन महाराजा