Atmadharma magazine - Ank 129
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

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वर्ष अगियारमुं, अंक नवमो, अषाढ, सं. २०१० (वार्षिक लवाजम ३–०–०)
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स्वतंत्र... परिणमन
जगतना दरेक द्रव्यमां द्रव्यत्वगुण होवाथी तेनुं परिणमन स्वतंत्रपणे
थई ज रह्युं छे, कोई बीजुं द्रव्य तेने परिणमावतुं नथी, एटले के एक वस्तु
बीजी वस्तुनुं किंचित् पण करी शकती नथी. एक द्रव्य बीजा द्रव्यनुं कांई करे
एम जे माने छे तेणे वस्तुना द्रव्यत्वगुणने जाण्यो नथी एटले के वस्तुस्वरूप
जाण्युं नथी. जड के चेतन दरेक पदार्थमां समये समये पोताना स्वरूपथी ज
स्वतंत्र परिणमन थई रह्युं छे. ज्ञान होय तो ज वस्तुनुं परिणमन थाय एम
नथी. जड वस्तुमां ज्ञान न होवा छतां द्रव्यत्वशक्तिने लीधे ते जड वस्तुमां
पण समये समये पोताना कारणे स्वतंत्र परिणमन थई ज रह्युं छे, तेनो
कर्ता कोई बीजो नथी.