Atmadharma magazine - Ank 131
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

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वर्ष अगियारमुं, अंक अगियारमो, भाद्रपद, सं. २०१० (वार्षिक लवाजम ३–०–०)
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संसारथी छूटवानो उपाय
अनंतवार पुण्य करवा छतां जीवनुं संसारभ्रमण न
अटक्युं, माटे नक्की करवुं जोईए के पुण्य ते संसारभ्रमणथी
छूटवानो उपाय नथी. वीतरागी चैतन्यस्वभावने भूलीने परथी
के पुण्यथी आत्माने किंचित् पण धर्मनो लाभ थाय एवी मिथ्या
मान्यता ज संसारभ्रमणनुं मूळकारण छे. चैतन्यस्वभावनी
ओळखाण करीने ए मूळकारणने छेदया विना बीजा जे कांई
उपाय जीव करे ते बधाय संसारनुं ज कारण थाय छे.