ATMADHARMA Regd. No. B. 4787
महान तत्त्वाथर्शास्त्र िहन्दी भाषामां प्रकािशत थयुं छे.
मोक्षशास्त्र [सूत्रजी]
जेमां सर्वज्ञ वीतराग कथित तत्त्वार्थोना निरूपणने सुगम, स्पष्ट
रीते प्रकाशमां लाववानुं विवेचन, विस्तृत प्रश्नोत्तर–परिशिष्ट, नय
प्रमाण अने शास्त्राधार सहित होवाथी आ शास्त्रनुं समस्त
जिज्ञासुओए वांचन, मनन करवा योग्य छे.
मूल्य पडतर किंमतथी पण बे रूपिया ओछुं राखवामां आव्युं छे.
पृष्ठ संख्या प्राय: ९००, मूल्य रूा. ५–०–०
पोस्टेज खर्च अलग आपवानुं रहेशे.
: प्राप्ति स्थळ :
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट सोनगढ [सौराष्ट्र]
उत्तम चैतन्यतत्त्व
सिवाय बहारमां क्यांय आनंद नथी अने बीजुं कांई तेनाथी उत्तम नथी. जगतमां
सर्वोत्कृष्ट चैतन्यतत्त्व छे, आ शुद्ध चिद्रूप परमात्म तत्त्वथी ऊंचुं जगतमां कोई नथी. आवुं
चैतन्यतत्त्व ज प्राप्त करवा योग्य छे. चैतन्यतत्त्वनी प्राप्ति सिवाय (एटले के तेनी
ओळखाण सिवाय) पुण्य–पापना भावो जीवे अनंतवार कर्या अने बहारना संयोगो
अनंतवार मळ्या, पण तेमां क्यांय आत्मानो आनंद नथी. आ शरीरथी पार ने पुण्यथी
ज्यां सुधी जीव न समजे त्यां सुधी तेने धर्मनी शरूआत थाय नहि. माटे आवा
चैतन्यतत्त्वनी ओळखाणनो यथार्थ उद्यम करवो ते धर्मनी शरूआतनो उपाय छे.
मुद्रक:–जमनादास माणेकचंद रवाणी, अनेकान्त मुद्रणालय : वल्ल्भविद्यानगर (गुजरात)
प्रकाशक:–श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट वती जमनादास माणेकचंद रवाणी, वल्लभविद्यानगर (गुजरात)