ATMADHARMA Regd. No. B. 4787
महान तत्त्वाथर्शास्त्र िहन्दी भाषामां प्रकािशत थयुं छे
मोक्षशास्त्र (सूत्रजी)
जेमां सर्वज्ञ वीतराग कथित तत्त्वार्थोना निरूपणने सुगम,
स्पष्ट रीते प्रकाशमां लाववानुं विवेचन, विस्तृत प्रश्नोत्तर–
परिशिष्ट, नय प्रमाण अने शास्त्राधार सहित होवाथी आ
शास्त्रनुं समस्त जिज्ञासुए वाचन, मनन करवा योग्य छे.
मूल्य पडतर किंमतथी पण बे रूपिया ओछुं राखवामां आव्युं छे
पृष्ठ संख्या प्राय: ९००, मूल्य रूा. प–०–०
पोस्टेज खर्च अलग आपवानुं रहेशे.
: प्राप्ति स्थळ:
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट सोनगढ [सौराष्ट्र]
अनेकान्तवस्तुनुं ज्ञान
ए खास ध्यान राखवुं के प्रमाणना विषयरूप अनेकान्तवस्तुने
जाणतां पण ज्ञाननुं जोर त्रिकाळी शुद्धद्रव्यस्वभाव तरफ ज जाय छे; केम
के वस्तुनो त्रिकाळीशुद्धस्वभाव अने क्षणिक अवस्था ए बंनेने जाणनारुं
ज्ञान, क्षणिक अवस्थामां ज न अटकतां, त्रिकाळी शुद्धस्वभावनो ज
महिमा करीने तेमां एकाग्र थाय छे. आ रीते अनंतधर्मात्मक–
अनेकान्तमय वस्तुने जाणनारी द्रष्टि शुद्धचैतन्यद्रव्य उपर ज होय छे, जो
एवी द्रष्टि न होय तो तेने अनेकान्तवस्तुनुं ज्ञान ज साचुं नथी, एटले
ते एकान्तवादी मिथ्याद्रष्टि छे.
[–प्रवचनमांथी]
मुद्रक:– जमनादास माणेकचंद रवाणी अनेकान्त मुद्रणालय: वल्लभविद्यानगर (गुजरात)
प्रकाशक:– श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट वती जमनादास माणेकचंद रवाणी, वल्लभविद्यानगर (गुजरात)