Atmadharma magazine - Ank 138
(Year 12 - Vir Nirvana Samvat 2481, A.D. 1955)
(Devanagari transliteration).

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ATMADHARMA Regd. No. B. 4787
त्त्र्स्त्र िन् प्रि .
क्षस्त्र (त्रजी)

जेमां सर्वज्ञ वीतराग कथित तत्त्वार्थोना निरूपणने सुगम,
स्पष्ट रीते प्रकाशमां लाववानुं विवेचन, विस्तृत प्रश्नोत्तर–
परिशिष्ट, नय प्रमाण अने शास्त्रधार सहित होवाथी आ
शास्त्रनुं समस्त जिज्ञासुखे वाचन, मनन करवा योग्य छे.
मूल्य पडतर किंमतथी पण बे रूपिया ओछुं राखवामां आव्युं छे
पृष्ठ संख्या प्राय: ९००, मूल्य रूा. ५–०–०
पोस्टेज खर्च अलग आपवानुं रहेशे.
: प्राप्ति स्थळ :
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट सोनगढ [सौराष्ट्र]
मुद्रक:–जमनादास माणेकचंद रवाणी, अनेकान्त मुद्रणालय: वल्लभविद्यानगर (गुजरात)
प्रकाशक:–श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट वती जमनादास माणेकचंद रवाणी, वल्लभविद्यानगर (गुजरात)