Atmadharma magazine - Ank 143
(Year 12 - Vir Nirvana Samvat 2481, A.D. 1955)
(Devanagari transliteration).

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(१) प्रथम भादरवा सुदी १प थी बीजा भादरवा सुदी १प सुधी जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित
गुजराती ग्रंथो उपर नीचे मुजब कमीशन देवामां आवशे.
१० थी २प रूपिया सुधीना पुस्तकमां एक रूपीये एक आनो, २६ थी १०० रूपिया सुधीना पुस्तकमां एक रूपिये
बे आना, १०० थी अधिकना पुस्तकमां एक रूपिये चार आना, समयसार, प्रवचनसार, नियमसारमां कमीशन नथी.
एक साथे स. सार अथवा नियमसार एम दस पुस्तक लेनारने १२ाा टका कमीशन मळशे. प्रवचनसार स्टोकमां नथी.
समयसारना प्रवचनो भा. २–३–४–प ते चार पुस्तको तथा नियमसार प्रवचन भा. १–२ एम छ पुस्तको
एक साथे लेनारने ३० टका कमीशन मळशे. गुजराती आत्मधर्मनी पाकी बांधेली फाईलो वर्षे ३–४–प–७–८–९ नी
छे ते एकसाथे लेनारने रूा. २प ने बदले १४ लेवामां आवशे. पोस्टेज अलग.
पताः–
जैन स्वाध्याय मंदिर.
सोनगढ (सौराष्ट्र)
लघु जैन सिद्धांत प्रवेशिका
[दुसरी आवृत्ति]
यह एक विशिष्ठ, अत्यावश्यक, स्वाध्याय तथा प्रचार
योग्य तत्त्वज्ञान प्रवेशिका है, शास्त्राधार सहित
उत्तम और सुगम कथन है मुमुक्षुजन
अवश्य स्वाध्याय करें।
पत्र संख्या १०५ मूल्य ०–३–०
२० प्रतियों से अधिक लेनें पर २५ प्रतिशत कमी०
पोस्टेज अलग
पता
जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट
पो० सोनगढ़ [सौराष्ट्र]
सुखी
अहो! आत्मा आनंदस्वभावथी भरेलो छे.
आवा आत्मानी सामे जुए तो दुःख छे ज कयां?
आत्माना आश्रये धर्मात्मा निःशंक सुखी छे के भले देहनुं
गमे तेम थाओ के ब्रह्मांड आखुं गडगडी जाव, तोपण तेनुं
दुःख मने नथी, मारी शांति–मारो आनंद मारा आत्माना
ज आश्रये छे. हुं मारा आनंद समुद्रमां डुबकी मारीने लीन
थयो त्यां मारी शांतिमां विघ्न करनार जगतमां कोई नथी.
आ रीते धर्मात्मा आत्माना आश्रये सुखी छे.
–पू. गुरुदेव.
(–सुखशक्तिना प्रवचनमांथी)
दुःखी
मारुं सुख परमां छे एवी जेनी बुद्धि छे ते जीव,
भले तेनी पासे करोडो रूपिया होय ने मेवा–जांबु खातो
होय तथा सोनाना हींडोळे हींचतो होय तो पण
आकुळताथी दुःखी ज छे. आनंदधाम एवा स्वतत्त्वनो
महिमा छोडीने परनो महिमा कर्यो ते ज दुःख छे.
पू. गुरुदेव.
(–सुखशक्तिना प्रवचनमांथी)
मुद्रकः– जमनादास माणेकचंद रवाणी अनेकान्त मुद्रणालयः वल्लभविद्यानगर (गुजरात)
प्रकाशकः– श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट वती जमनादास माणेकचंद रवाणी, वल्लभविद्यानगर (गुजरात)