Atmadharma magazine - Ank 143
(Year 12 - Vir Nirvana Samvat 2481, A.D. 1955)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >

Download pdf file of magazine: http://samyakdarshan.org/DblZ
Tiny url for this page: http://samyakdarshan.org/GusEGP

PDF/HTML Page 20 of 21

Hide bookmarks
background image
पालेजमां दि. जिनमंदिरनुं शिलान्यास
परम पूज्य गुरुदेवना प्रतापे सत् देव–गुरु–धर्मनी प्रभावना दिनदिन वधती जाय छे, सौराष्ट्रमां पू.
गुरुदेवनां प्रतापे अनेक जिनमंदिरो थया छे. गृहस्थपणामां वेपार अर्थे पू. गुरुदेव केटलाक वर्षो पालेज गाममां रह्या
हता, तेथी त्यांना भाईश्री कुंवरजीभाई तथा आणंदजीभाई वगेरेने एवी भावना हती के पू. गुरुदेव आ गाममां
अनेक वर्षो सुधी रह्या तेथी अहीं पण एक जिनमंदिर थाय तो सारुं!–आ मंगलभावनाने लीधे तेमणे पालेजमां
जिनमंदिर कराववानो निर्णय कर्यो. अने श्रावण वद एकमना रोज भाईश्री कुंवरजीभाईना शुभहस्ते पालेजमां श्री
दिगंबर जिनमंदिरनुं खातमुहूर्त थयुं. पोताने आंगणे श्री जिनमंदिरना खातमुहूर्तनो आवो मंगल अवसर प्राप्त
थवाथी पालेजना भाईश्री कुंवरजीभाई तेम ज आणंदजीभाई वगेरेने घणो ज हर्ष थयो हतो. आ प्रसंगे श्री
जिनेन्द्रदेवनी रथयात्रा तेम ज पूजनादि विधि करवामां आवी हती. श्री जिनेन्द्र भगवानना मंदिरने माटे जेटला तन–
मन–धन खरचाय ते सफळ छे.
पालेजमां आ मंगळ कार्यनी शरूआत करवा माटे त्यांना मुमुक्षुओने धन्यवाद!
(पालेज गाम गुजरातमां भरुच पासे आवेलुं छे.)
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा
श्रावण वद पांचमना रोज ओराण (गुजरात) ना भाईश्री वाडीलाल कचरालाल शाह तथा तेमना
धर्मपत्नी अमथीबेन–ए बंनेए सजोडे आजीवन ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा पू. गुरुदेव पासे अंगीकार करी छे; ते माटे तेमने
धन्यवाद!
वैराग्य समाचार
श्रावणवद त्रीजना रोज सुरेन्द्रनगरमां भाईश्री फूलचंद चतुरभाई लगभग ८० वर्षनी वयोवृद्ध उमरे
स्वर्गवास पाम्या छे. सुरेन्द्रनगरना मुमुक्षुमंडळमां तेओ एक उत्साही आगेवान हता. परम पूज्य गुरुदेव प्रत्ये
तेमने घणो भक्तिभाव हतो अने गुरुदेवना सत्संगनो लाभ लेवा तेओ अवार नवार सोनगढ आवीने लांबो
वखत रहेता; तत्त्व समजवा माटे तेमने सारो प्रेम हतो. थोडा ज दिवसोमां सोनगढ आववानी तेमनी भावना
हती, ते पण पूरी न थई शकी. जो के छेल्ला केटलाक दिवसोथी तेमनी तबियत अस्वस्थ हती, छतां स्वर्गवासना
आगला दिवसे पण तेओ जिनमंदिरे दर्शन करवा गया हता. आ रीते श्री देव–गुरु–धर्म प्रत्येनी लागणी पूर्वक तेओ
स्वर्गवास पाम्या; अंतिम समय सुधी तेमणे शांति राखी हती. देव–गुरु–धर्म प्रत्येनी लागणीना संस्कारना बळे
आगळ वधीने तेओ आत्महित साधे ने आवा जन्ममरणथी छूटे ए ज भावना..........
अहो! आ जगतमां एवा संतो धन्य छे के जेमणे आ क्षणभंगुर शरीरने अशरणभूत जाणीने तेनाथी पार
एवा अविनाशी चैतन्यतत्त्वनुं शरण लई लीधुं छे...ने संसारना समुद्रनो किनारो प्राप्त करी लीधो छे.
अधिकमासनो अंक
अधिक भादरवा मासनो आत्मधर्मनो आ वधारानो अंक प्रसिद्ध करवा माटेनुं खर्च भाई मोहनलाल
त्रिकमजी देसाई (भावनगर) तरफथी आपवामां आव्युं छे. आ रीते तेओ दरेक वखते अधिक मासना अंकनुं खर्च
आपता आव्या छे. आ माटे तेमनो आभार मानवामां आवे छे.