: ३०६ : : आसो: २४८ :
(१९) आवा दिव्यज्ञानस्वभावनो निर्णय करीने, एना बहुमानथी आचार्यदेव कहे छे के
अहो! आ दिव्यज्ञाननो जेटलो महिमा करवामां आवे ते बधोय योग्य ज छे. ज्ञानस्वभावनो
आश्रय करीने आचार्यदेवनुं पोतानुं परिणमन आवा दिव्यज्ञान तरफ वळी गयुं छे, तेनी आमां
जाहेरात छे.
(२०) आवा दिव्यमहिमावंत ज्ञानस्वभावनो निर्णय करे त्यां ज्ञाननुं परिणमन अंतर्मुख
थया विना रहे नहि; अंतर्मुख थईने पोताना ज्ञानस्वभावनो निर्णय थतां सर्वज्ञनो पण यथार्थ
निर्णय थयो, अने स्वभावनी साक्षीथी पोताने निःशंकता थई के बस! हवे अल्पकाळमां केवळज्ञान
अने मुक्तदशा खीली जशे, ने सर्वज्ञभगवानना दिव्यज्ञानमां पण एम ज देखाई रह्युं छे.
–दिव्यज्ञाननी प्रभुताना निर्णयनुं आवुं फळ छे.
‘आत्मधर्म’ना लेखोनी कक्कावारी
[वर्ष बारमुं: अंक १३ थी १४]
सूचना: –
(१) आ अनुक्रमणिकामां अंकना नंबरमां ३३ थी ४४ नंबरो लख्या छे तेने बदले दरेक ठेकाणे (एकसो
उमेरीने) नं. १३३ थी १४४ समजवा.
(२) आ वर्षमां बे भादरवा मास छे तेमां प्रथम भादरवा मासना अंकने (–जेने भूलथी १४३ नंबर
अपाई गयो छे तेने) ‘खास अंक’ तरीके गणवानो अने बीजा भादरवा मासना अंकने (जेने भूलथी ‘खास
अंक’ नाम अपायुं छे तेने) नं. १४३नो अंक गणवानो छे. आ अनुक्रमणिकामां पण ए ज रीते गणवामां
आव्युं छे.
(३) अंक १३४–३५ संयुक्त छे, तेथी ज्यां ३४ नंबर लख्यो होय त्यां नं. १३४–३५नो ते संयुक्त अंक
समजवो.
[अ......आ......उ......] (१८) उत्पाद व्यय धु्रवत्व शक्ति: १: ३९ १४५
विषय अंक पृष्ठ उत्पाद व्यय धु्रवत्व शक्ति: २: ४१ २२३
अचिंत्य चैतन्यस्वरूप ३८ १५३ उत्पाद व्यय धु्रवत्व शक्ति: ३: ४३ २३७
अधिक मासनो अंक खास २६९ अनेकान्त वस्तुनुं स्वरूप ३६ १२८
अध्यात्मरूप शुद्धचेतनापद्धति त्रिकाळ छे ४१ २११ अपूर्व ३६ १२४
अनेकान्तमूर्ति भगवान आत्मानी केटलीक अमृतनो वरसाद ४१ २१०
शक्तिओ [समयसारनी ४७ शक्तिओ अरिहंत परमेष्ठीनुं स्वरूप ३६ १११
उपरनां प्रवचनो] अशुद्धि (अंक १४१ नी) ४२ २३२