Atmadharma magazine - Ank 145
(Year 13 - Vir Nirvana Samvat 2482, A.D. 1956)
(Devanagari transliteration).

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मुंबई शहेरमां दि. जिनमंदिरना शिलान्यासनो महोत्सव
परम शासनप्रभावक पू. गुरुदेवना पुनित प्रतापे सौराष्ट्रमां ठेरठेर वीतरागी जिनमंदिरोनी स्थापना थई
छे....ते उपरांत हवे मुंबई जेवा भारतना अग्रगण्य शहेरमां पण पू. गुरुदेवना प्रतापे एक भव्य दि. जिनमंदिर
तैयार थाय छे–ते घणा हर्षनी वात छे. मुंबई जेवा शहेरमां सारा लत्तामां प्लोट मळवो ए घणुं मुश्केल गणाय, छतां
मुंबई मुमुक्षु मंडळना सद्भाग्ये मुम्बादेवी रोड जेवा महत्वना लत्तामां, रस्ता उपर ज जिनमंदिरने योग्य प्लोट
मळी गयो, ते पण हर्षनी वात छे.
उपरना प्लोटमां, आसो सुद दसमना शुभ दिने भाईश्री मणिलाल जेठालाल शेठ तथा तेमनी धर्मपत्नी
सुरजबेनना सुहस्ते, सीमंधर भगवानना दि. जिनमंदिरनुं शिलान्यास थयुं हतुं, तेमना कुंटुंबीजनोए पण आमां
होंशपूर्वक भाग लीधो हतो. आवो धन्य अवसर पोताने प्राप्त थयो ते बदल भाईश्री मणिलालभाई तथा तेमना
बंधुओए घणो उल्लास व्यक्त करीने रूा. २०००१, (वीसहजार ने एक) मुंबई–जिनमंदिरने अर्पण कर्या हता. ते
उपरांत कुटुंबीजनो तरफथी पण रूा. १२०६, अर्पण करवामां आव्या हता. तेम ज हाजर रहेला अन्य भक्तजनो
तरफथी रूा. पप२८, अर्पण करवामां आव्या हता. ए रीते आ प्रसंगे कुल रूा. २८७३८, नी रकमो जाहेर थई हती.
शिलान्यासविधि करनार शेठश्री मणिलालभाई मुंबई मुमुक्षुमंडळना प्रमुख छे.
मुंबई मुमुक्षुमंडळना ट्रस्टीओ–कार्यकरो वगेरे बधा भक्तजनोए दि. जिनमंदिरना शिलान्यासनो आ प्रसंग
घणा उल्लासपूर्वक उजव्यो हतो. मुम्बादेवीना जिनमंदिरना प्लोटमां एक खास सुशोभित मंडप बांधवामां आव्यो
हतो; भूलेश्वरना चंद्रप्रभुभगवानना जिनमंदिरेथी, चांदीना रथमां जिनेन्द्रदेवने बिराजमान करीने ठाठमाठपूर्वक
भव्य रथयात्रा नीकळी हती ने मंडपमां आवी हती. त्यां भगवानने बिराजमान करीने अभिषेक पूजन आदि
विधिपूर्वक, भक्तोना उल्लास अने जयजयकार पूर्वक श्री दिगंबर जिनमंदिरनुं शिलान्यास थयुं हतुं.
शिलान्यासविधि बाद, आ प्रसंगनो उल्लास अने भक्ति व्यक्त करतां भाईश्री खीमचंदभाईए कह्युं हतुं के
‘आजनो दिवस आपणे माटे महान हर्षनो छे के आ मोहमयी–मुंबईनगरीमां आजे, मोहस्वयंभूरमणसमुद्रने तरी
गयेला एवा जिनेन्द्रभगवानना जिनमंदिरनुं मुहूर्त थाय छे....वीतरागी जिनधर्मना सुयोग्य सुकानी कहान
गुरुदेवनो पवित्र प्रभावना उदय ज आ बधानी पाछळ काम करी रह्यो छे, तेथी तेओश्रीनो परम उपकार छे. हवे
आ जिनमंदिर थतां आपणा आंगणे जिनेन्द्र भगवान पधारशे....भगवाननी प्रतिष्ठा–प्रसंगे पू. गुरुदेव पण
पोताना पवित्र पगलांओथी आ मुंबईनगरीने पावन करशे अने तेमनी मधुरी बंसरीद्वारा भव्यजीवोने मुक्तिनो
संदेश सांभळवा मळशे.....ए रीते आपणी नगरी ते दिवसोमां देव–गुरु–शास्त्रना त्रिवेणी संगमथी धन्य बनशे.
भगवान श्री जिनेन्द्रदेवना अने गुरुदेवना दर्शननो योग आपणने अहीं शीघ्र प्राप्त थाओ....अने तेमनी उपासना
द्वारा अंतरभूमिमां आत्मदेवना दर्शन थाओ.–ए ज भावना......’
आ मंगल प्रसंगमां मुंबईना दि. जैन समाजनी अनेक अग्रगण्यव्यक्तिओ वगेरेए भाग लीधो हतो, तेम
ज त्रण हजार जेटली भाई–बहेनोए उल्लासपूर्वक भाग लईने आ प्रसंगने शोभाव्यो हतो. आवो प्रभावक प्रसंग
जोईने घणाने आश्चर्य थतुं अने कहेता के ‘कानजी स्वामी द्वारा मुंबईमां आटली बधी प्रभावना थई छे, तेनी तो
अमने आजे खबर पडी!’
मुंबईना आंगणे आवो मंगलकारी प्रसंग प्राप्त करवा माटे त्यांना मुमुक्षुओने अभिनंदन! अने
उल्लासपूर्वक ए प्रसंगने शोभाववा माटे मुमुक्षुमंडळना भाई–बहेनोने धन्यवाद! !
पू. गुरुदेवनो अचिंत्य प्रभावना उदय जगतनुं कल्याण करो.