‘राजी’ थाउं ने मारा आत्माने खरेखर गमतुं शुं छे–एनो कोई वार
विचार पण नथी कर्यो, एनी दरकार पण नथी करी. जेने आत्माने
खरेखर राजी करवानी धगश जागी ते आत्माने राजी कर्ये ज छूटको
करशे अने तेने ‘राजी’ एटले ‘आनंदधाम’ मां पहोंच्ये ज छूटको छे.
Atmadharma magazine - Ank 146
(Year 13 - Vir Nirvana Samvat 2482, A.D. 1956)
(Devanagari transliteration).
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