Atmadharma magazine - Ank 146
(Year 13 - Vir Nirvana Samvat 2482, A.D. 1956)
(Devanagari transliteration).

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वर्ष तेरमुंः सम्पादकः मागशर
अंक बीजो रा म जी मा णे क चं द दो शी २४८२
अ हो.....मा रुं आ नं द धा म !
जगतना जीवोए, दुनिया राजी केम थाय अने दुनियाने गमतुं
केम थाय–एवुं तो अनंतवार कर्युं छे. पण हुं–आत्मा वास्तविक रीते
‘राजी’ थाउं ने मारा आत्माने खरेखर गमतुं शुं छे–एनो कोई वार
विचार पण नथी कर्यो, एनी दरकार पण नथी करी. जेने आत्माने
खरेखर राजी करवानी धगश जागी ते आत्माने राजी कर्ये ज छूटको
करशे अने तेने ‘राजी’ एटले ‘आनंदधाम’ मां पहोंच्ये ज छूटको छे.
(–पू. बेनश्रीबेन लिखित समयसार–प्रवचनोमांथी)
वार्षिक लवाजम (१४६) छूटक नकल
त्रण रूपिया चार आना
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ (सौराष्ट्र)