अलौकिक छे. आध्यात्मिक
उपशांतरस वरसाववा माटे
आप चंद्र समान छो.....ने
ब्रह्मचर्यना अखंड तेजथी आप
सूर्य समान छो..... आपना
जेवा तेजस्वी पुरुषनो जोटो
मळवो आ काळे मुश्केल छे.
अध्यात्मरसनी खुमारीथी ने
ब्रह्मचर्यना रंगथी आपनुं जीवन
रंगायेलुं छे...तेथी, आपनी
महाप्रतापी छायामां निरंतर
वसता....ने आपश्रीना पावन
उपदेशनुं पान करता आपना
नाना नाना बाळक–बाळिकाओ
पण ब्रह्मजीवन प्राप्त करे तेमां
शुं आश्चर्य छे!!
हे धर्मपिता!........जीवनना आधार.....ने हैयानां हार! आपश्री द्वारा थई रहेल
जिनशासननी प्रभावनाना सूर ऊठी रह्या छे...... ने रोमेरोममां वीतरागधर्मनो नाद गूंजी रह्या
छे. जिनशासन उपर घेरायेला मोहनां वादळने गगनभेदी ज्ञानगर्जनावडे आपे विखेरी नाख्या
छे.... ने दिव्यज्ञानप्रभा वडे आपे जैनशासनने झगमगावी दीधुं छे.....तेथी आप ‘जिनशासनना
अणमोलरत्न’ छो.
जीवो होंसभेर आवी रह्या छे.