Atmadharma magazine - Ank 156
(Year 13 - Vir Nirvana Samvat 2482, A.D. 1956)
(Devanagari transliteration).

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: आसो : २४८२ आत्मधर्म (‘ब्रह्मचर्य अंक’–बीजो.) : २४१ :
• श्री गोगीदेवी दिगंबर जैन श्राविका ब्रह्मचर्याश्रम, सोनगढ •
[संक्षिप्त परिचय]ं
• • •
परम पूज्य बालब्रह्मचारी महाप्रभावी श्री कहानगुरुदेव अनेक वर्षोथी मुख्यपणे सोनगढमां बिराजे छे
अने भव्यजीवोने आत्महितनो अपूर्वमार्ग दर्शावे छे. तेओश्रीना परमपावन उपदेशथी आकर्षाईने अनेक
जिज्ञासु भाई–बहेनो सोनगढमां आवीने रहे छे.......तेमां कुमळी वयना नाना भाईबहेनो पण आत्महितनी
भावनाथी सोनगढमां रहे छे. केटलाक भाईबहेनोने एवी भावना पण जागे छे के पोतानुं आखुंय जीवन अहीं
संतोनी छायामां ज वीते........
सं. १९९८मां मुमुक्षु ब्रह्मचारीभाईओने माटे “सनातन जैन ब्रह्मचर्याश्रम”नी स्थापना थई; पूज्य
बेनश्रीबेननी पवित्र छायामां रहेता केटलाक कुमारिका बहेनोने पण बालब्रह्मचारी रहीने सोनगढमां ज
वसवानी भावना हती. तेना परिणामे सं. २००५ना कारतक सुद तेरसे छ कुमारिका बहेनोए आजीवन–
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा लीधी; अने ते प्रसंगे “सनातन जैन कुमारिका ब्रह्मचर्याश्रम”नी स्थापना थई, ने तेने माटे
लगभग रूा. १२०००/–नुं फंड थयुं. परंतु हजी बहेनोना आश्रम माटे कोई स्वतंत्र मकाननो बंदोबस्त न हतो.
त्रणचार वर्ष दरमियान बीजा पण अनेक जिज्ञासु बहेनो तैयार थया अने तेओ पण ब्रह्मचर्यजीवननी भावना
भाववा लाग्या.....
सं. २००७मां श्री सीमंधरभगवानना वार्षिक प्रतिष्ठा महोत्सव प्रसंगे, कलकत्ताथी श्रीमान् वछराजजी
शेठ (लाडनुवाळा) तेमना धर्मपत्नी मनफृलादेवी सहित पहेली ज वार सोनगढ आव्या...त्यारे पू. गुरुदेवना
अद्भुत प्रवचनो सांभळीने तथा सोनगढमां थती महान धर्मप्रभावना देखीने, तेमज बहेनोना मंडळनुं सुंदर
वातावरण देखीने, तेओ घणा खुशी थया, अने विशेष उल्लास आवतां शेठाणी श्री मनफूलादेवीए तुरत ज
सोनगढमां विशाळ जमीन खरीदीने लगभग सवालाख रूा. ना खरचे
“श्री गोगीदेबी दि. जैन श्राविका
ब्रह्मचर्याश्रम” बंधावी आप्यो. सं. २००८ ना माह सुद पांचमे घणाज उत्साहपूर्वक ते आश्रमनुं उद्घाटन थयुं.
हाल पू. बेनश्रीबेन जेवा पवित्र आत्माओनी मंगल छायामां मुख्यपणे बालब्रह्मचारीबहेनो सहित एकंदर
त्रीसेक बहेनो आ आश्रममां रहे छे.
आ आश्रमनुं वातावरण उपशांत अने आह्लादकारी छे.........श्रीदेव–गुरुनी नीकट छायामां ज आ
आश्रम छे......त्यांथी हरतांफरतां देवगुरुना दर्शन थया करे छे ने संध्या समये तो मानस्तंभस्थ सीमंधरनाथनी
छाया आश्रम उपर छवाई जाय छे. आवा आ आश्रममां पू. बेनश्रीबेन निवृत्तिकाळमां पोताना चिंतन–मनन
उपरांत, कोईवार भक्तिनो उमळको आवी जतां आश्चर्यकारी भक्ति करावे छे.....तो कोईवार वैराग्यभरेली
वार्ताओ पण कहे छे, कोईवार गुरुदेवनो महिमा गाय छे....तो कोईवार तीर्थयात्रानुं उमंगभर्युं वर्णन करे छे,
कोईवार प्रसंगोचित हितोपदेश पण आपे छे.....तो कोईवार आनंदपूर्वक उल्लास प्रेरे छे..... नवानवा शास्त्रोनो
अभ्यास पण करावे छे.....ने कोई वार परीक्षा पण ल्ये छे..........
बंने पवित्र बहेनोनुं जीवन धर्मरंगथी रंगायेलुं छे.....तेओनुं जीवन ज एवा प्रकारनुं छे के तेमनी