Atmadharma magazine - Ank 158
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(Devanagari transliteration).

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वष १४ : अक २ : मगशर : २४८३ जन स्वध्यय मदर टस्ट – सनगढ
१५८
– सिद्धभगवंतोनी पंक्तिमां –
परिपूर्ण आत्मस्वरूपने पामेला सिद्धभगवंतो जगतमां अनादिथी छे,
एवा सिद्धभगवंतो अनंत छे, ने तेमां सदाय वृद्धि ज थया करे छे.
हे सिद्धभगवंतो! आपने में मारा आत्मामां स्थाप्या, एटले हुं पण
आपनी पंक्तिमां बेठो... मारा आत्माने में सिद्धपणे स्थाप्यो... हे नाथ! आप
सिद्ध... ने हुं पण सिद्ध! बस! हवे मारा आत्मामां समये समये सिद्धदशा
प्रत्ये ज वृद्धि थया करे छे... मारा आत्मामां वृद्धि ज थती जाय छे, ने
संसारनी समये समये हानि ज थती जाय छे. आ रीते मारा ज्ञानमां आपने
पधरावीने हुं पण आपनी पासे आवी रह्यो छुं.
–पू. गुरुदेव