Atmadharma magazine - Ank 159
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(Devanagari transliteration).

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: पोष: २४८३ आत्मधर्म : ५ :
श्री सम्मेदशिखरजी वगेरे तीर्थधामोनी यात्रा निमित्ते
पू. गुरुदेवनो मंगल – प्रवास


(परमपूज्य श्री कहान गुरुदेवे सोनगढथी कारतक सुद पूर्णिमाए
तीर्थयात्रा निमित्ते मंगल विहार कर्यो... पालेजमां अनंतनाथ भगवाननी
वेदीप्रतिष्ठा तथा मुंबईमां महान प्रभावना करीने तेओश्री हाल विधविध
तीर्थधामोनी यात्रा संघसहित करी रह्या छे. पू. गुरुदेवना सोनगढथी धंधुका
सुधीना विहारना संस्मरणो आत्मधर्मना गतांकमां आपी गया छीए.
त्यारपछीना समाचारो अहीं संक्षेपमां आपवामां आवे छे. पू. गुरुदेव साथे
प्रवासमां होवाने कारणे आ समाचारो विस्तारथी नथी आपी शकता, ए
बदल जिज्ञासु ग्राहको क्षमा करे. सोनगढ आव्या बाद विस्तारपूर्वक यात्रा–
वर्णन, ते ते प्रसंगना फोटाओ सहित आपवानी भावना छे.)
–ब्र. हरिलाल जैन

कारतक वद छठ्ठना रोज सवारमां श्री जिनेन्द्रदेवनी स्तुति अने अनंतनाथ भगवानना जयजयकारपूर्वक
धंधूकाथी पू. गुरुदेवे विहार कर्यो. हवे अमे सौराष्ट्रनी बहार भाल प्रदेशमां आवी गया. भाल प्रदेशनो विहार
जराक विकट छे. धंधुकाथी खडोल सुधी गीच झाडीओना विकट रस्ते पसार थतां सम्मेदशिखरजी धामनी गीच
झाडीओनुं स्मरण थतुं हतुं. आ भालप्रदेशमां भोमिया विना चाले तेवुं न हतुं. आपणे तो आ संसाररूपी
भालप्रदेशमांथी बहार नीकळीने सिद्ध नगरीमां पहोंचवा माटे पू. गुरुदेव ज मार्गदर्शक भोमिया छे. पू.
गुरुदेवनी साथेसाथे तेओश्रीना पुनित मार्गे विचरीए–एवी भावनापूर्वक खडोल गामे पहोंच्यां. त्यां थोडी वार
रोकाईने १० वाग्ये फेदरा गामे पहोंच्या.
फेदरा पछी भोळाद गामे आवतां वच्चे “कार नदी आवी. भोळादथी गोलाणा गामे जतां वच्चे नौका
द्वारा साबरमती नदी ओळंगवानुं आव्युं. पू. गुरुदेव आ जीवनमां पहेली ज वार नौकामां बेठा... गुरुदेव साथे
भक्ति करतां करतां भक्तजनो पण नौकामां बेठा... ने नौका चाली... चालती नौकामां पू. गुरुदेवना पवित्र
हस्ताक्षर (““ चिदानंदाय नम:” ए प्रमाणे) कराव्या... गुरुदेव साथे नौकाविहारनो आ प्रसंग बहु
आनंदकारी हतो. तेनुं विस्तृत वर्णन हवे पछी आपशुं.
साबरमती पार कर्या बाद गोलाणा गामे पहोंच्या. अमारी साथेनी मोटरबस बीजा रस्ते गयेली, ते
रस्तामां खूंची गयेली, तेथी आजे ते अमने न मळी. अहीं गोलाणा गामे श्री अमृतलाल नरसीभाईना
स्वर्गवासना समाचार मळतां वातावरणमां स्तब्धता छवाई गई.
श्रीमद् राजचंद्रनी भूमिमां
कारतक वद ९ना रोज गोलाणाथी खंभात नगरे आव्या. अहीं पुराणा जिनमंदिरमां श्री विमलनाथ