Atmadharma magazine - Ank 161
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957).

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ज्ञान की जो यज्ञ वेदी जल उठी है उसकी सुनिर्मल शिखा लोक के कलुष अवसाद एवं
अन्धकार को दूर करती है। आपने आपत्तियों की तीखी आँच मे तप–तपा कर, बाधा–
विघ्नों की कठिन कसौटी पर कस कसाकर अपने जीवन को पारस पत्थर बनाया है, जो
अपने लिये तो सब प्रकार से निःस्व है, पर जिन्दगी के लोहे की जिस लकड़ी को छू देता
है, वह मूल्य, महत्व और महिमा की दमक से सोना हो उठता है।
आदर्श एवं प्रभावशाली व्यक्तित्वः –
दूसरों के लिये अपना जीवन जीनेवाले महापुरुष! अन्तर में ज्ञान की अक्षय निधियों
का भरा पूरा भण्डार लिये आपका जो सरल सहज व्यक्तित्व है, उसके अजेय आकर्षण
और अपरिमित प्रभाव की रूपरेखा शब्द नहीं आकें सकते। ओज–तेज के उस प्रकाश में,
शान्ति–सौम्यता की शीतल छाँह में जिसे भी घड़ी भर टिकने का सौभाग्य हुआ है, वही
उस शब्द–रूपहीन स्वर्गीय सुख की अनुपम अभिज्ञता से धन्य हो उठा है। आपके जीवन
का प्रवाह अपनी राह बहता है और उसके दोनों कूल धूल–सिंच कर हरे भरे लहराते हैं।
जैन समाज ने आपको लम्बी अवधि तक बहुत पास से देखा है, वैभव विलास के
जगरमगर से साधना के द्वारा बीहड़ मार्ग पर किस प्रकार आपका जीवन आगे बढ़ा हैं उसे
जाना है और आजीवन साधना के जो अनमोल बोल झड़ते है, उन्हें जतन से चुना है और
तब यह समझा है कि आपका व्यक्तित्व कितना पारदर्शी है, किन आदर्शो पर उसकी नींव
पड़ी है और उसके फल–फूल उसकी छाया में सन्तप्त लोक–जीवन के लिये कैसा मन्त्र है,
दुखी मानवता के लिये कैसी अमोघ औषधि है।
हमारे मान्य अतिथिः –
हमारी समझमें नहीं आता कि हम आपकी वन्दना अर्चना किन शब्दों में करें,
क्योंकि हमारी वाणी मूक है और प्राण विह्वल है।
हम आपके मंगलमय भविष्य एवं सुदीर्घ जीवन की शुभ कामना करते हैं। हमें आशा
ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप दिनों दिन धर्मपथ पर अग्रसर होते हुये अनगिनती दुखी
और अन्धकार में भटकने वाली आत्माओं की आँखोको विमल प्रकाश, लड़खड़ाते चरणों
को सच्ची सुगम राह, एवं पीड़ित जीवनों को आश्वासन की वाणी सुनाकर उन्हें सही
मंजिल की ओर चलने की सद्प्रेरणा देते रहेंगे।
अन्त में सेवा त्याग का स्वर्गीय संकल्प लिये उदार मार्ग पर चलने वाले आपके
चरणों पर हम अपने आँसू के गंगाजल से धुली कामनाओं के फूल बिछाते हैं और आपके
दीर्घ जीवन की मंगल कामना करते है।
चिर विनीत
महावीर जैन युवक समिति, गया।
ફાગણઃ ૨૪૮૩ ઃ ૧૯ઃ