सागर आत्मानी सम्यक् श्रद्धा, तेनुं सम्यग्ज्ञान अने तेमां एकाग्रता ते सुखनो उपाय छे. “सम्यग्दर्शन–
ज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः” ए जैन शासननुं एक महान सूत्र छे.
–आवा सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्रवडे मोक्षना जेओ साधक छे तेमने साधु अथवा मुनि कहेवामां आवे छे ते
मुनिदशामां वनमां रहेवुं, वस्त्र रहित रहेवुं, दिवसे एक ज वखत ऊभा ऊभा हाथमां ज अहिंसक भोजन करवुं,
जमीन उपर सूवुं–इत्यादि अनेकविध बाह्य आचारो होय छे. मुनिदशाने योग्य ते ते प्रकारना बाह्य आचारो होवा
छतां, मात्र ते बाह्य आचारो उपरथी मुनिना धर्मनुं माप थतुं नथी. कोईने बाह्य आचारो घणा होवा छतां अंतरमां
जेने पोताना आत्मस्वरूपनुं भान नथी तेने धर्म होतो नथी. आत्मस्वरूपने जाणीने तेमां एकाग्रता करवी ते ज
धर्मनुं साधन छे.
जगतमां बहारनी क्रियाओथी के बाह्य शुभाशुभ वृत्तिओथी धर्म मानी लेवानी जे पध्धति चाले छे तेनी
जैनधर्म बेधडकपणे ना पाडे छे के बहारनी क्रियाओ वडे के बाह्य शुभाशुभवृत्तिओ वडे धर्म थतो नथी; धर्म ते
आत्माना स्वभावना ज आधारे थाय छे, माटे तमे आत्माने ओळखो.
आत्माने कई रीते ओळखवो?–एम जो कोईने जिज्ञासा थाय तो, आचार्य कुंदकुंदस्वामी प्रवचनसारमां कहे छे के–
जो जाणदि अरहंतं दव्वत्त गुणत्त पज्जयत्तेहिं ।
सो जाणदि अप्पाणं मोहो खलु जादि तस्स लयं ।। ८०।।
जे जाणतो अरहंतने गुण द्रव्य ने पर्ययपणे
ते जीव जाणे आत्मने तसु मोह पामे लय खरे ८०
आत्मानी परिपूर्णताने पामेला परमात्माना द्रव्य–गुण–पर्यायने जे जीव ओळखे छे ते पोताना आत्माने
पण जाणे छे; केम के खरेखर ते परमात्मानो अने आ आत्मानो स्वभाव सरखो ज छे.
ए प्रमाणे पोताना आत्माने जाणीने पछी तेमां ज लीनतावडे आत्मा परमात्मा बनी जाय छे. –
सव्वे वि य अरहंता तेण विहाणेण खविद कम्मंसा ।
किच्चा तधोवदेशं णिव्वादा ते णमो तेसिं ।। ८२।।
अर्हंंत सौ कर्मोतणो करी नाश ए ज विधि वडे
उपदेश पण एम ज करी निवृत्त थया नमुं तेमने ८२
अनादिकाळना प्रवाहक्रममां एक पछी एक पोतानी परमात्म दशाने साधनारा अनंत आत्माए थई गया
छे. ते सर्व परमात्माओए आ ज विधानथी कर्मोनो क्षय करीने परमात्मदशा प्राप्त करी छे. अने पछी ते ज प्रकारनो
उपदेश करीने तेओ मुक्ति पाम्या छे. ते भगवंतोने नमस्कार हो.
*
भगवंतोए जे मुक्तिमार्ग साध्यो, अने जे
मुक्तिमार्ग जगतने उपदेश्यो, ते मुक्तिमार्ग आजे पण
भारतमां चाली रह्यो छे. श्री कानजीस्वामी–के जेओ
भारतना एक महान आध्यात्मिक जैन संत छे, तेओ आजे
ते मुक्तिमार्गने प्रकाशी रह्या छे. तेओश्रीना उपदेशनी
थोडीक झांखी अमे अमारा विदेशी महेमानो समक्ष रजू
करी छे. आशा राखीए छीए के आप सौ आमांथी
मुक्तिमार्गनी प्रेरणा मेळवशो.
जेठः २४८३ ः १पः