Atmadharma magazine - Ank 171
(Year 15 - Vir Nirvana Samvat 2484, A.D. 1958)
(Devanagari transliteration).

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स्वावलंबननो उपदेश
हे भव्य!
दर्शन–ज्ञान–चारित्रस्वरूप तारो आत्मा ज छे; तारा दर्शन–ज्ञान–चारित्र कोई
बीजाना आधारे नथी; माटे परसन्मुख बुद्धि छोड ने स्वसन्मुख था.
देह के देहनी क्रियाओ हणावा छतां तारा दर्शन–ज्ञान–चारित्र हणाई जतां नथी;
माटे तुं एम समज के, देहना के देहनी क्रियाना आधारे तारा दर्शन–ज्ञान–चारित्र नथी.
ए ज प्रमाणे राग हणावा छतां तारा दर्शन–ज्ञान–चारित्र हणाई जतां नथी; माटे तुं
एम समज के, ते रागना आधारे तारा दर्शन–ज्ञान–चारित्र नथी. तारा शुद्ध आत्माना
ज आश्रये तारा सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र छे. तारा स्वालंबने ज तारा गुणो टके छे,
माटे अंतर्मुख थईने स्वालंबन कर, ने परालंबन छोड,–एवो संतोनो उपदेश छे.
– स. गा. ३६६–३७१ ना प्रवचनमांथी
ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञाः
कारतक वद छठ्ठना रोज, राजकोटना भाई श्री हीराचंद भाईचंद पारेखना सुपुत्री इच्छाकुमारीबेने पू.
गुरुदेव समक्ष आजीवन ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा सोनगढमां अंगीकार करी छे; तेओ बालब्रह्मचारी कुमारिका छे,
वैराग्यवंत छे, अने सुशिक्षित (
Junior B. A.) छे; हाल तेमनी उंमर ३१ वर्षनी छे. अनेक वर्षोथी
अवारनवार तेओ पू. गुरुदेवना सत्समागमनो लाभ ल्ये छे. आ शुभ कार्य माटे तेमने अभिनंदन!
नोंधः उपरोक्त समाचार प्रसिद्ध करवा माटे ते ज दिवसे मोकली आपवामां आव्या हता; परंतु
प्रेसना द्रष्टिदोषथी ते लेख गुम थई जवाने कारणे विलंबथी प्रसिद्ध थाय छे–आ माटे दिलगीर छीए.
सुवर्णपुरी समाचार
शास्त्र प्रवचनः
परमपूज्य गुरुदेव सुखशांतिमां बिराजे छे. सवारना प्रवचनमां श्री पंचास्तिकाय (गुजराती)
वंचातुं हतुं ते मागशर वद छठ्ठना रोज समाप्त थयुं छे; ने मागशर वद सातमथी श्री नियमसार शास्त्र उपर
प्रवचनो शरू थयां छे. शरूआत करतां गुरुदेवे कह्युं केः “आचार्यभगवाने “निज भावना” अर्थे आ शास्त्र
रच्युं छे.” एटले श्रोताओए पण “निज–भावना” करवी ते आ शास्त्रनुं तात्पर्य छे. बपोरे श्री समयसार
वंचाय छे, ते थोडा दिवसोमां पूरुं थशे. गुजराती पंचास्तिकाय पूरुं छपाई गयुं छे ते थोडा वखतमां प्रसिद्ध
थशे.
आचार्यपद– आरोहणः
मागशर वद आठमना
े दिवस, श्री कुंदकुंद भगवानना, आचार्यपद–आरोहण दिन तरीके उल्लासथी
उजवायो हतो; ए प्रसंगे, कुंदकुंदप्रभु सीमंधर परमात्मा पासे विदेह क्षेत्रमां जईने जाणे हमणां ज पधार्या
होय–एवा भावो, समवसरणमां भक्ति वखते भक्तोने उल्लसता हता..खरेखर, कुंदकुंद आचार्यदेवनो
जिनशासन उपर महान् उपकार छे..मंगळना श्लोकमां श्री महावीर भगवान अने गौतम गणधर पछी तरत
तेओश्रीनुं स्थान (
मंगलं कुन्दकुन्दार्यो) आवे छे.
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञाः
मागशर वद आठमना रोज बीलखाना भाईश्री भूपतभाई कपुरचंद टींबडीआए पू. गुरुदेव पासे
आजीवनब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा अंगीकार करी छे; तेओ बालब्रह्मचारी छे, तेमनी उंमर २८ वर्षनी छे. आ शुभ
कार्य माटे तेमने धन्यवाद!
वार्षिक लवाजम रूपिया चारः छूटक नकल पांच आना