वगर भगवानना मार्ग साथे आत्मानी
करीने आत्मस्वभावमां एकाग्र थवानो ज
भगवाननो उपदेश छे; आ मार्ग विना मोक्ष
कथन साथे आत्मानी परिणतिनो मेळ मळवो
जोईए, तो ज भगवानना मार्गनी आराधना
शास्त्रोनुं भावश्रवण कर्युं कहेवाय.
Atmadharma magazine - Ank 173
(Year 15 - Vir Nirvana Samvat 2484, A.D. 1958)
(Devanagari transliteration).
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