Atmadharma magazine - Ank 173
(Year 15 - Vir Nirvana Samvat 2484, A.D. 1958)
(Devanagari transliteration).

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श्री पंचास्तिकायनुं प्रकाशन
जिज्ञासुओ घणा वखतथी जेनी राह जोता हता ते,
कुंदकुंदप्रभुनुं चोथुं रत्न श्री पंचास्तिकाय माह वद तेरसना
रोज प्रसिद्ध थई गयुं छे. प्रकाशन प्रसंगे भक्तजनोए आ
शास्त्ररत्नने भक्तिपूर्वक वधाव्युं हतुं ने पूजा करी हती.
समयसार, प्रवचनसार अने नियमसारनी जेम आ
पंचास्तिकायनो गुजराती अनुवाद पण विद्वान भाईश्री
हिंमतलाल जेठालाल शाहे कर्यो छे. आ रीते कुंदकुंद प्रभुना “
रत्नचतुष्टय” ना गुजराती अनुवादनुं एक महान मंगलकार्य
तेओश्री ए पूरुं कर्युं छे, ने आ माटे आ प्रसंगे आपणे तेमनुं
अभिनंदन करीए छीए.
पू. गुरुदेवना विहारना कार्यक्रम
लींबडी शहेरमां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव
निमित्ते पू. गुरुदेव फागण सुद त्रीज ने शुक्रवारे सोनगढथी
मंगलप्रस्थान करीने जे जे गामे पधारवाना छे तेनो कार्यक्रम
नीचे मुजब छे.
सोनगढथी लीमडा, ढसा, लाठी, मोटा आंकडिया,
वडीआ, जेतलसर, उपलेटा, कुतियाणा तथा राणावाव थईने
पोरबंदर फा. सु. तेरसे पधारशे. त्यां आठेक दिवस रोकाई,
वच्चेना गामो थईने फागण व. १२ना रोज राजकोट
पधारशे. वांकानेर चै. सु. १२ना रोज पधारशे; त्यांथी चै. वद
त्रीजे मोरबी पधारशे. त्यारबाद ध्रांगध्रा, गुजरवदी,
जोरावरनगर
वगेरे गामो थईने सुरेन्द्रनगर पधारशे.
(वैशाख सुद बीज सुरेन्द्रनगर उजवाशे.) त्यारबाद वढवाण
शहेर पधारशे ने
वैशाख सुद आठमे लींबडी शहेर
पधारशे; (लींबडीमां प्रतिष्ठानुं मुहूर्त वैशाख सुद तेरसनुं छे.)
त्यारबाद चुडा, राणपुर, बोटाद, वींछीया ने गढडा थईने जेठ
सुद त्रीजे उमराळा पधारशे ने त्यारबाद सोनगढ पधारशे.
फागण सुद सातम
गत वर्षे फागण सुद सातमे पू. गुरुदेवे अने गुरुदेवनी साथे हजारो भक्त यात्रिकोए
शाश्वत तीर्थाधिराज श्री सम्मेदशिखरजी धामनी महान उल्लासपूर्वक यात्रा करी हती. आ
फागण सुद सातमे तेना वार्षिक महोत्सव निमित्ते, ए पावन तीर्थधामने याद करीने गुरुदेव
सहित आपणे सौ अतिशय भक्तिपूर्वक नमस्कार करीए छीए.
अनंत तीर्थंकरो अने संतोना पुनित चरणोथी स्पर्शायेला पावन तीर्थराज श्री
सम्मेदशिखरजी सिद्धिधामने नमस्कार हो.
वार्षिक लवाजम रूपिया चारः छूटक नकल पांच आना