Atmadharma magazine - Ank 173
(Year 15 - Vir Nirvana Samvat 2484, A.D. 1958)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page  


PDF/HTML Page 25 of 25

background image
ATMADHARMA Regd. No. B. 4787
___________________________________________________________________________________
भगवानना दरबारमां मंगल महोत्सव
फागण सुद बीजना धन्य दिवसे विदेह नगरीना देवाधिदेव सीमंधरनाथ प्रभु सोनगढ पधार्या..भगवान
पधार्या त्यारे आठ दिवसनो महान अठ्ठाई उत्सव ऊजवायेलो; त्यारथी ते उत्सवना उमंगभर्या, स्मरणपूर्वक दर वर्षे
आठ दिवस सुधी विशेष भक्ति थाय छे. आ वर्षे पण नूतन जिनमंदिरमां भगवानना भव्य दरबारमां रोज रात्रे
उल्लासभरी भक्ति थती हती; तेमांय जन्मकल्याणक वगेरे दिवसोनी भक्तिनो रंग तो कोई जुदी ज जातनो हतो..
जाणे पुंडरगीरीमां आजे ज भगवान जन्म्या छे ने तेमनो जन्मकल्याणक आपणे अहीं ऊजवीए छीए–एवा आनंदथी
भक्ति थई हती. जिनमंदिरमां भगवानना निजमंदिरनो दरवाजो खुल्लो अने विशाळ थई गयो होवाथी, भगवानना
दरबारनो देखाव घणो ज सुंदर अने महिमावंत लागे छेः निजमंदिरनुं द्वार पण आरसनुं थई गयुं छे. भगवानना
दरबारमां प्रवेशतां ज तेनी शोभा देखीने भक्तोने आश्चर्य थाय छे. फागण सुद बीजे सीमंधर भगवान सुवर्णपुरीमां
पधार्या..ने बराबर ए ज दिवसे गत वर्षे गुरुदेव साथे महावीर भगवानना मोक्षधाम
पावापुरीना जात्रा थई हती.
नमस्कार हो सीमंधरनाथने..नमस्कार हो पावापुरी धामने..
श्री दिगंबर जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टी वती मुद्रक अने प्रकाशकः हरिलाल देवचंद शेठः आनंद प्रिन्टींग प्रेस, भावनगर.