शासनने सर्व प्रकारे प्रकाशे छे; एटले आ पांच गाथारत्नोमां जे
वस्तुस्थिति कहेवाशे ते सर्वज्ञदेवना आखा शासनमां सर्वत्र लागु करीने
परीक्षा करवी अने आ पांच रत्नो संसार तथा मोक्षना विलक्षण पंथने
एटले के बंनेना भिन्नभिन्न मार्गने जगत समक्ष प्रसिद्ध करे छे. अहा!
आचार्यदेव कहे छे के अर्हंतदेवना समग्र शासनने संक्षेपथी प्रकाशनारा,
तेमज संसार–मोक्षनी विलक्षण पंथवाळी स्थितिने जगत समक्ष
प्रकाशनारा आ पंचरत्नो (गा. २७१ थी २७प सुधीना पांच सूत्रो)
जयवंत वर्तो.
अयथा ग्रहे जे अर्थने,
अत्यंतफळ समृद्ध भावी
काळमां जीव ते भमे. २७१.
जैन शासनमां रहीने व्रत–महाव्रत पाळतो होवा छतां जे जीव मिथ्याद्रष्टिपणे विपरीततत्त्वोनी श्रद्धा करे छे, ते
जिनशासननुं रहस्य संक्षेपथी प्रकाशे छे, एटले कर्मना उदयथी अज्ञान थवानुं कह्युं होय तो ते निमित्तथी कथन छे, त्यां
पण आ सूत्रमां कह्या प्रमाणे समजी लेवुं के ते जीवने स्वयं अविवेकथी ज अज्ञान थवानुं कह्युं होय तो ते निमित्तथी
कथन छे, त्यां पण आ सूत्रमां कह्या प्रमाणे समजी लेवुं के ते जीवने स्वयं अविवेकथी ज अज्ञान थयुं छे, कर्मने लीधे नहि.