ः २०ः आत्मधर्मः १७प
६९शेठ फूलचंद गुलाबचंदलींबडी६९हेमकुंवरबेन लक्ष्मीचंद
६९शेठ मनसुखलाल गुलाबचंदना धर्मपत्नीलींबडी(हा. विनोदलाल देवचंद)राजकोट
६९दोशी हरगोविंद गफलभाईसुरेन्द्रनगरवोरा अमृतलाल देवकरणजामनगर
६९शेठ जीवणलाल मूळजीभाईसुरेन्द्रनगरचंचळबेन जगजीवनवढवाण
६९शेठ धीरजलाल हरजीवन (फावाभाई)सुरतशाह रतिलाल सुखलाल (हा.
धनजीभाई)वढवाण
६९शेठ मणिलाल हरखचंदवढवाणशांताबेन टोळीआसुरेन्द्रनगर
६९शेठ मोहनलाल डोसाभाईराजकोटवसंतलाल वृजलाल पारेखराजकोट
६९सुरजबेन पांडवरावाळा
६९शा. कान्तिलाल देवसीभाईथान
६९शेठ कुंवरजी जादवजीपालेज
६९मद्रास मुमुक्षु मंडळमद्रास
१९ााजुदी जुदी व्यक्तिओ तरफथी ६९ नीचेनी
रकमो. (भायाणी हरिलाल जीवराज;
मोहनलाल किरचंद; कानजी जेठाभाई; कस्तुरचंद
प्राणजीवन; लाभुबेन शीववाळा; रमणिकलाल
एन. महेता)
६९वकील मणिलाल ओघडभाईसुरेन्द्रनगर ––––
६९शेठ भोगीलाल पोपटलालअमदावाद
६९शेठ शीवलाल वीरचंदबोटादपप०३ाा
(पांच हजार, पांचसो ने साडात्रण रूपिआ)६९शाह वृजलाल जेठालाल (ईजनेर)वांकानेर(–वैशाख सुद सातम सुधी)
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मुंबई शहेरमां श्री सीमंधरादि जिनेन्द्र भगवंतोनी पधरामणी
हर्षघेली जनताए करेलुं भावभीनुं स्वागत
पूज्यश्री कहानगुरुदेवना प्रतापे भारतना अग्रगण्य मुंबई शहेरमां घणी धर्मप्रभावना थई रही छे, अनेक
उत्साही मुमुक्षु भक्तो त्यां वसी रह्या छे ने चारेक लाख रूा. ना खर्चे झवेरीबजारना लत्तामां मम्मादेवी प्लोटनी सामे
विशाळ जिनमंदिर तैयार थई गयुं छे. आ जिनमंदिरमां बिराजमान करवा माटे श्री सीमंधरादि जिनेन्द्रभगवंतोनी
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा राजकोट शहेरमां सं. २००६मां थयेली हती, ने ते भगवंतो अत्यार सुधी राजकोट जिनमंदिरमां
बिराजता हता. आ चैत्र सुद दसमना मंगलदिने ते भगवंतोने घणा ज भव्य स्वागतपूर्वक मुंबई पधराववामां
आव्या छे.
चैत्र सुद दसम ने रविवारे मुंबई नगरीना आंगणे जिनेन्द्र भगवंतो पधारतां त्यांना भक्तोनो उमंग
अंतरमां समातो न हतो...हजारो मुमुक्षुओ आतुरनयने भगवाननी राह जोतां रस्ता उपर ऊभा हता ने भगवान
पधारतां घणां ज हर्षनादथी वधाव्या हता..बेन्ड वाजांओ मधुर सुरथी भगवाननुं स्वागत करी रह्या हता. भगवानना
स्वागतमां त्रण हजार उपरांत माणसोए उत्साहथी भाग लीधो हतो–जेमां मुंबईनगरीना दिगंबर जैनसमाज उपरांत
श्वेतांबर अने स्थानकवासी समाजना पण घणा भाईओए साथ पूराव्यो हतो. आ सीमंधरादि भगवंतोनी मुद्रा
अतिशय भव्य उपशांत रसझरती छे; भगवाननी मुद्रानुं अदभुत द्रश्य जोईने नगरीना लोको छक थई जता हता,
अने घणा भक्तो कहेता केः अहा! आवा भव्य भगवंतो अमे क्यांय जोया नथी. भगवान पधारतां भक्तो तो खुश
थाय, परंतु नगरीनी जनता पण भगवानने देखीने खुशी थती हती, अने हर्षघेली जनताना टोळेटोळां ठेठ रातना दस
वाग्या सुधी भगवानना दर्शन करवा माटे उमटी रह्या हता. मुंबईनी मध्यमांअने जैनोनी वसतीथी भरचक
लत्तामां ज आ दिगंबर जिनमंदिर आवेलुं छे अने आ प्रसंगे रोशनी वगेरेथी शणगारेला मंदिरनी शोभा कोई
अद्भुत हती; जिन–