
जिनमंदिरनुं उद्घाटन त्यांना प्रमुखश्री मणिलाल जेठालाल शेठना हस्ते थयुं हतुं, अने आवुं महामंगलकार्य
पोताना हस्ते थतां तेमणे घणो ज उत्साह बताव्यो हतो अने पोताना कुटुंब तरफथी रूा. २प०१) जिनमंदिरने
अर्पण कर्या हता, ते उपरांत बीजा अनेक भक्तोए पण उत्साहपूर्वक आ प्रसंगे रकमो जाहेर करी हती, जेमां
एकंदर रूा. छ हजार लगभग थया हता. आ उपरांत भगवंतोने वधाववामां तथा अभिषेक अने आरतिमां
लगभग रूा. एक हजार थया हता. आम मुंबईना भक्तजनोए घणा ज उल्लासपूर्वक आ प्रसंगने शोभाव्यो
हतो, अने आवती साले गुरुदेवना सान्निध्यमां भगवाननी प्रतिष्ठानो भव्य महोत्सव ऊजववानी मुंबईना
भक्तो भावना भावी रह्या छे.
भाग लीधो हतो. आ प्रसंगे भगवाननी आरति–अभिषेक वगेरेमां त्रणेक हजार रूा. थया हता.
श्री महावीर प्रभुनी प्रतिष्ठानो वार्षिकोत्सव तथा श्री महावीर प्रभुनो जन्मकल्याणक उत्सव त्यां आनंदथी
उजवायो हतो अने ते निमित्ते भगवाननी भव्य रथयात्रा नीकळी हती. वांकानेर बाद गुरुदेव मोरबी पधार्या
हता, अने चैत्र वद पांचमे श्रीमद् राजचंद्रजीनो समाधिदिन होवाथी श्रीमद्ना अंतरंग जीवन उपर खास प्रवचन
कर्युं हतुं. मोरबी बाद पू. गुरुदेव ध्रांगध्रा पधार्या हता. त्यांथी जोरावरनगर थईने सुरेन्द्रनगर पधार्या हता.
गुरुदेवनो ६९मो जन्मोत्सव त्यां ऊजवायो हतो. तेमज वैशाख सुद त्रीजे सुरेन्द्रनगरना जिनमंदिरमां शांतिनाथ
प्रभुनी प्रतिष्ठानो वार्षिकोत्सव उजवायो हतो अने ते निमित्ते भगवाननी रथयात्रा नीकळी हती. त्यारबाद
गुरुदेव वढवाण शहेर पधार्या हता. अने वैशाख सुद नोमे लींबडी शहेर पधार्या छे. गुरुदेवनी छायामां जिनेन्द्र
भगवाननी प्रतिष्ठानो पंचकल्याणक महोत्सव चाली रह्यो छे. महोत्सवना विगतवार समाचार आवता अंके
प्रसिद्ध थशे.
बधाय मरी गया, मकान चाल्या गया, लक्ष्मी पण बधी खलास थई गई, ने भाईसाहेब जेवा गया हता तेवा
ने तेवा एकला पाछा आव्या..जुओ, आ संयोग! इन्द्रपद के चक्रवर्तीपदना संयोगनी पण आ ज स्थिति छे,
माटे हे जीव! संयोगमांथी सुख मळवानी आशा छोडीने, पोताना निजस्वभावनी भावना कर. आत्माना
स्वभावमां सुख छे, ने ते स्वभावनी भावनाथी प्रगटेलुं सुख सदाय आत्मानी साथे ज रहे छे, कोई संयोगमां
ते सुखनो वियोग थतो नथी. संयोगमां मानेलुं सुख ते संयोगना वियोगमां नहीं टकी शके. स्वभावमांथी
आवेलुं सुख संयोग विना पण सदा टकी रहेशे.