Atmadharma magazine - Ank 178
(Year 15 - Vir Nirvana Samvat 2484, A.D. 1958)
(Devanagari transliteration).

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द्वितीय श्रावणः २४८४ ः ३ः
आत्मधर्म
वर्ष पंदरमुं संपादक द्वि. श्रावण
अंक १० मो रामजी माणेकचंद दोशी २४८४
जयपुर-महिला संमेलनमां
गुरुदेवना आशीर्वाद
श्री सम्मेदशिखरजी वगेरे अनेक
तीर्थधामोनी यात्रा करीने पू. गुरुदेव
जयपुर नगरीमां पधार्या ते प्रसंगे चैत्र
१२ना रोज त्यां महिला संमेलन थयुं
हतुं, जेमां १२-१३ हजार बहेनोनी
हाजरी हती; तेओनी खास विनंतिथी
पू. गुरुदेवे लगभग दस मिनिट
आशीर्वादरूप प्रवचन कर्युं हतुं.. तेमां
कह्युं हतुं केः-
स्त्रीनो देह के पुरुषनो देह ते तो पुद्गलनी रचना छे, अंदर आत्मा बधानो एक सरखो छे. स्त्रीनो